Lucknow नोएडा ट्विट टॉवर केस में SIT गठित

Lucknow नोएडा ट्विट टॉवर केस में SIT गठित
 | 
Lucknow नोएडा ट्विट टॉवर केस में SIT गठित

इस मामले की जांच के लिए शासन स्तर पर संजीव मित्तल की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई है। टीम में अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह बतौर राजस्व सदस्य और एडीजी जोन मेरठ राजीव सब्रवाल को भी शामिल किया गया है। 13 साल तक नोएडा अथॉरिटी से जुड़े अफसरों की होगी जांच, नियोजन अफसर मुकेश गोयल सस्पेंड
नोएडा सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टॉवर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीएम योगी बेहद सख्त हैं।  यह टीम 2004 से लेकर 2017 तक सुपरटेक मामले से जुड़े नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की जांच करेगी। एसआईटी को एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी।

 मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 40 फ्लोर वाले अवैध ट्विन टॉवर को गिराए जाने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के साथ नोएडा अथॉरिटी पर टिप्पणी भी की है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन अधिकारियों और ग्रुप (सुपरटेक) के बीच मिलीभगत की बात कही थी। कोर्ट ने कहा कि प्रॉजेक्ट में जो भी गड़बड़ी हुई हैं, कहीं न कहीं उसके लिए नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी जिम्मेदार हैं, लेकिन यह पूरा प्रकरण 2012 और उसके पहले का है।

 उनकी संदिग्ध भूमिका सामने आते ही शासन ने वर्तमान में इसी पद पर गीडा में तैनात गोयल को निलंबित कर दिया है मंगलवार को भी सीएम ने इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई के निर्देश दिए थे। सीएम के इस आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्राधिकरण की ओर से पैरवी की जिम्मेदारी संभाल रहे नोएडा के तत्कालीन नियोजन प्रबंधक मुकेश गोयल उच्च अधिकारियों से तथ्य छिपाने के दोषी पाए गए हैं।। साथ ही इस मामले में शामिल बिल्डर और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरु कर दी गई है।

इस बीच सुपरटेक ने कहा है कि हम फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन डालेंगे। बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2014 में टि्वन टावर तोड़ने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 फ्लोर वाले टि्वन टावर को अवैध करार देते हुए तीन महीने के भीतर गिराने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टि्वन टावर में जो भी फ्लैट खरीदार हैं, उन्हें दो महीने के भीतर उनके पैसे रिफंड किए जाएं। इस रकम पर 12% ब्याज का भी भुगतान किया जाए।  सुपरटेक ने उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बहाल कर दी थी।