होलिका दहन 2025: जानें भद्रा और पूर्णिमा का महत्व
इस वर्ष होली का पर्व 13 मार्च को मनाया जाएगा, जिसमें फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होगा। भद्रा का प्रभाव इस दिन दहन के समय को प्रभावित करेगा। जानें कि भद्रा के मुख और पूंछ के समय में होलिका दहन कैसे किया जाना चाहिए। इसके अलावा, धुलेंडी पर चंद्रग्रहण का भी महत्व है, जो भारत में दिखाई नहीं देगा। इस लेख में जानें सभी महत्वपूर्ण जानकारी।
Jun 16, 2025, 21:07 IST
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होलिका दहन का समय और भद्रा का प्रभाव
रंगों का पर्व होली इस वर्ष 13 मार्च को फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। इस दिन होलिका दहन पर भद्रा का प्रभाव रहेगा, जिसके कारण प्रदोषकाल में दहन नहीं किया जा सकेगा। ज्योतिषियों के अनुसार, मध्यरात्रि में होलिका दहन का सबसे शुभ समय 1 घंटे 4 मिनट होगा। भद्रा उस दिन 12 घंटे 51 मिनट तक रहेगी। यदि भद्रा मध्यरात्रि तक बनी रहती है, तो शास्त्रों के अनुसार, भद्रा के पूंछ की ओर होलिका दहन की अनुमति है।
पूर्णिमा का आरंभ और भद्रा का समय
यह रहेगा पूर्णिमा के आरंभ होने का समय
- फाल्गुनी पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी। भद्रा भी इसी समय में रात 11:26 बजे तक रहेगी।
- भद्रा का मुख रात 8:14 से 10:22 बजे तक और पूंछ का समय शाम 6:57 से 8:14 बजे तक होगा।
- ज्योतिर्विद शिव नारायण तिवारी के अनुसार, होलिका दहन सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय होना चाहिए जब पूर्णिमा तिथि हो।
- यदि भद्रा पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्ध में होती है, तो उस समय होलिका पूजा और दहन नहीं करना चाहिए।
होलिका दहन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
दहन के दौरान रखा जाता इन बातों का ध्यान
- ज्योर्तिविद विनायक तिवारी के अनुसार, भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा पर होलिका दहन करना उत्तम है।
- यदि भद्रा प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में नहीं है, लेकिन भद्रा मध्यरात्रि से पहले समाप्त हो जाए, तो प्रदोष के बाद होलिका दहन करना चाहिए।
- यदि भद्रा मध्यरात्रि तक बनी रहती है, तो पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है।
- धर्म सिंधु के अनुसार, भद्रा मुख में होलिका दहन करना अनिष्टकारी माना जाता है।
- कभी-कभी यदि प्रदोष और भद्रा पूंछ दोनों में होलिका दहन संभव न हो, तो प्रदोष के बाद दहन करना चाहिए।
धुलेंडी पर चंद्रग्रहण का प्रभाव
धुलेंडी पर चंद्रग्रहण, नहीं लगेगा सूतक
- होलिका दहन के अगले दिन, 14 मार्च को धुलंडी पर चंद्र ग्रहण होगा, जो सुबह 9:29 बजे से दोपहर 3:29 बजे तक रहेगा।
- भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
- ज्योतिषियों के अनुसार, इस दौरान चंद्रमा कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा।
- इस समय कन्या राशि में केतु भी रहेगा, जिससे ग्रहों की युति बन रही है।