हिमाचल हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: पति की दूसरी शादी को माना गया क्रूरता

महिला के प्रति पति की क्रूरता का मामला

पति की दूसरी औरत के साथ संबंध ने उसे भारी पड़ गया।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि कोई पति अपनी पत्नी के होते हुए किसी अन्य महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है और उससे बच्चा पैदा करता है, तो यह उसकी पत्नी के प्रति क्रूरता के समान है। यह फैसला एक पति द्वारा तलाक की याचिका को खारिज करते हुए सुनाया गया। पति ने अपनी पत्नी पर आरोप लगाया था कि उसने उसे छोड़ दिया और क्रूरता की है, लेकिन अदालत ने पाया कि पति के अपने कार्यों ने पत्नी को अलग रहने के लिए मजबूर किया। अदालत ने पति को हर्जाना और गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला लगभग 30 साल पहले शुरू हुआ था। 30 मई, 1993 को एक जोड़े ने शिमला में शादी की, लेकिन यह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चला और जनवरी 1994 से दोनों अलग रहने लगे। पति ने बाद में तलाक की याचिका दायर की।
पति का आरोप था कि पत्नी ने उसे बिना किसी कारण के छोड़ दिया। उसने यह भी कहा कि पत्नी शिमला में पली-बढ़ी थी, इसलिए वह उसके छोटे कस्बे में नहीं रह सकी। पति ने रिश्तेदारों और पंचायत के सदस्यों के माध्यम से पत्नी को वापस लाने की कोशिश की, लेकिन पत्नी ने मना कर दिया।
पत्नी ने कहा कि पति ने उसे शिमला में छोड़ दिया और फिर कभी वापस नहीं आया। उसने अपने रिश्तेदारों के माध्यम से वापस जाने की कोशिश की, लेकिन पति ने उसे घर में रखने से मना कर दिया और दूसरी शादी कर ली।
पत्नी की कठिनाइयाँ
पत्नी के लिए यह समय बहुत कठिन था। उसकी माँ का निधन 10 अगस्त, 2001 को हुआ, जो उसकी एकमात्र सहारा थीं। पत्नी ने कई बार नौकरी पाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सकी। दूसरी ओर, पति ने अपने नाम से एक सफल व्यवसाय शुरू किया।
पत्नी ने 27 नवंबर, 2001 को हिमाचल प्रदेश महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उसने बताया कि पति ने उसे 1994 में छोड़ दिया और फिर कभी उसकी खैर-खबर नहीं ली। उसने गुजारा भत्ता और अपनी ज्वैलरी वापस मांगने की कोशिश की।
2002 में दोनों पक्षों के बीच सामान लौटाने पर सहमति बनी, लेकिन पति ने कभी सामान नहीं लौटाया। इसके बाद, पत्नी ने गुजारा भत्ते के लिए कोर्ट में याचिका दायर की। 2006 में कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाया और पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
कोर्ट में खुलासा
पति ने तलाक के लिए जो याचिका दी थी, उसमें उसने पत्नी पर क्रूरता और परित्याग का आरोप लगाया। लेकिन जब गुजारा भत्ते की कार्यवाही के दस्तावेज देखे गए, तो पति ने पत्नी पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिन्हें वह साबित नहीं कर सका। हाई कोर्ट ने माना कि पति द्वारा पत्नी पर झूठा आरोप लगाना भी क्रूरता है।
अदालत ने पाया कि पति ने 5 मार्च 1996 को दूसरी महिला से एक बेटी पैदा की थी, जो इस बात का सबूत था कि वह अपनी पत्नी से अलग होने के तुरंत बाद किसी अन्य महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में था।
हाई कोर्ट का निर्णय
23 सितंबर, 2025 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पति की तलाक की याचिका को खारिज करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि पत्नी का बयान संदर्भ में देखा जाना चाहिए, क्योंकि पति पहले से ही किसी दूसरी महिला से शादी कर चुका था।
अदालत ने स्पष्ट किया कि पति की क्रूरता के कारण पत्नी को अलग रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह स्थिति पत्नी के लिए परित्याग या क्रूरता नहीं मानी जा सकती।