हिमाचल में हिमकेयर योजना की विफलता: कैंसर मरीज की मौत पर उठे सवाल

हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य योजना पर सवाल
शिमला: हिमाचल प्रदेश में हिमकेयर योजना के तहत लोगों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज प्रदान किया जाता है। हालांकि, अब यह योजना गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। यह मामला आईजीएमसी शिमला में एक कैंसर मरीज की मृत्यु से जुड़ा है। आरोप है कि मरीज को समय पर आवश्यक इंजेक्शन नहीं मिल पाया, जिसके कारण उनकी जान चली गई। जबकि सरकार कैंसर मरीजों को घर पर इलाज की सुविधा देने का दावा करती है, ऐसे मामले वास्तविकता को उजागर करते हैं।
इंजेक्शन की अनुपलब्धता से हुई मृत्यु: मृतक की 21 वर्षीय बेटी, जाह्नवी शर्मा ने हिमकेयर योजना पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता पिछले एक साल से कैंसर से जूझ रहे थे और उनका इलाज आईजीएमसी में हिमकेयर कार्ड के तहत चल रहा था। 11 नवंबर को उन्हें कीमोथेरेपी के लिए अस्पताल बुलाया गया, लेकिन वहां बताया गया कि हिमकेयर कार्ड के लिए भुगतान नहीं हुआ है, इसलिए इंजेक्शन नहीं मिल सकता। उन्हें कई दिनों तक भटकाया गया और अंततः 3 दिसंबर को उनके पिता की मृत्यु हो गई।
पिता परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे: जाह्नवी ने कहा कि उनके पिता के निधन से तीन दिन पहले उन्हें बताया गया कि अगर स्थिति गंभीर है, तो उन्हें अपने पैसे खर्च करके इंजेक्शन खरीदना होगा, जिसकी कीमत 50 हजार रुपये या उससे अधिक थी। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे इतनी बड़ी राशि खर्च कर सकें। जब तक उन्होंने पैसे इकट्ठा किए, तब तक उनके पिता का निधन हो चुका था। जाह्नवी और उनका छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि उनकी मां भी बीमार रहती हैं।
जाह्नवी ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की: जाह्नवी ने कहा कि उनकी केवल यही मांग है कि इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में भी शिकायत की थी, लेकिन उन्हें बताया गया कि यह मामला उनके दायरे में नहीं आता। यदि वे डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहते हैं, तो कार्रवाई हो सकती है, लेकिन डॉक्टर ने उनके पिता का इलाज अच्छे से किया था।
जाह्नवी ने कहा कि उनके पिता को इंजेक्शन नहीं मिल पाया, जिसके कारण उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और अंततः उनकी मृत्यु हो गई। वह चाहती हैं कि इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।