हिमाचल प्रदेश में बाढ़ से तबाही: दो मृतक और कई लापता

हिमाचल प्रदेश में बुधवार को बादल फटने से अचानक बाढ़ आई, जिसमें दो लोगों की जान चली गई और एक दर्जन से अधिक लोग लापता हो गए। कांगड़ा जिले में बचाव कार्य जारी है, जबकि स्थानीय विधायक और भाजपा के नेता पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। जानें इस घटना के पीछे के कारण और अधिकारियों की प्रतिक्रिया।
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हिमाचल प्रदेश में बाढ़ से तबाही: दो मृतक और कई लापता

बाढ़ की चपेट में आए लोग

हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में बुधवार को बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आई, जिससे दो व्यक्तियों की जान चली गई और एक दर्जन से अधिक लोग लापता हो गए। कांगड़ा जिले में दो शव बरामद किए गए हैं, जबकि कम से कम 10 लोग लापता बताए जा रहे हैं। कई घर, एक स्कूल, संपर्क सड़कें और छोटे पुल भी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। कांगड़ा के डिप्टी कमिश्नर हेमराज बैरवा ने बताया कि "हमने दो शव बरामद किए हैं और लापता लोगों की तलाश जारी है। पीड़ित धर्मशाला के पास एक पनबिजली परियोजना में काम कर रहे थे।"


तलाश अभियान की शुरुआत

कांगड़ा और कुल्लू जिलों में बाढ़ के बाद लापता 10 लोगों की खोज के लिए तलाश अभियान को तेज कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि बुधवार शाम को भारी बारिश के कारण दो लोगों की मौत हुई, जबकि लगभग 20 लोग बह गए। हालांकि, कुछ लापता व्यक्तियों को बचा लिया गया है। कांगड़ा जिले के मनुनी खड्ड में इंदिरा प्रियदर्शिनी जलविद्युत परियोजना के पास एक श्रमिक कॉलोनी में रह रहे श्रमिकों के बह जाने की आशंका है।


बचाव कार्य में जुटे अधिकारी

उपायुक्त हेमराज बैरवा ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद बताया कि राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की दो टीमें और होमगार्ड की एक टीम मौके पर तैनात की गई है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को भी बचाव कार्य के लिए बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि जलविद्युत परियोजना स्थल पर छह लोगों के बह जाने की आशंका है।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने बाढ़ में बहे श्रमिकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "इस संकट के समय में भाजपा के सभी कार्यकर्ता देवभूमि के नागरिकों की मदद के लिए तत्पर हैं।"


स्थानीय विधायक की प्रतिक्रिया

धर्मशाला से भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि परियोजना स्थल उनके गांव से एक किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के लिए असुरक्षित क्षेत्र में शेड बनाना लापरवाही है और इसकी जांच होनी चाहिए।


बाढ़ के कारणों का विश्लेषण

अधिकारियों के अनुसार, बारिश के कारण परियोजना का काम रोक दिया गया था और श्रमिक अस्थायी शिविरों में आराम कर रहे थे, तभी बाढ़ का पानी श्रमिक कॉलोनी की ओर आया। कुल्लू जिले में भी बाढ़ की घटनाएं हुई हैं और वहां तलाश अभियान जारी है।