हरियाणा विश्वविद्यालय में आतंकवादी साजिश का खुलासा: जांच में चौंकाने वाले तथ्य

फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय के हॉस्टल रूम में आतंकवादी गतिविधियों का खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि इस कमरे से दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हमलों की योजना बनाई जा रही थी। कई कट्टरपंथी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से एक ने हाल ही में दिल्ली में विस्फोट किया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है, जबकि सुरक्षा एजेंसियां इस नेटवर्क की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं।
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हरियाणा विश्वविद्यालय में आतंकवादी साजिश का खुलासा: जांच में चौंकाने वाले तथ्य

फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय में आतंकवाद की साजिश

हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय का एक साधारण हॉस्टल कमरा अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कमरे से दिल्ली और उत्तर प्रदेश में आतंकवादी हमलों की योजना बनाई जा रही थी। जांच एजेंसियों ने बताया है कि विश्वविद्यालय के बिल्डिंग नंबर 17 के रूम नंबर 13 को आतंकियों ने अपनी गुप्त बैठकों और विस्फोटक तैयारियों का केंद्र बना रखा था.


कट्टरपंथी डॉक्टरों का समूह

जानकारी के अनुसार, इस कमरे का उपयोग कुछ कट्टरपंथी डॉक्टरों के समूह द्वारा किया जा रहा था, जिनमें से कई को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह वही समूह है, जिसके सदस्य डॉक्टर उमर नबी ने हाल ही में दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए विस्फोट को अंजाम दिया था, जिसमें 13 लोगों की जान गई थी.


गिरफ्तार डॉक्टरों की पहचान

डॉक्टर उमर नबी, डॉक्टर मुझम्मिल शकील और डॉक्टर शाहीन शाहिद, ये तीनों अल-फलाह विश्वविद्यालय और अस्पताल से जुड़े हुए थे। डॉक्टर मुझम्मिल और शाहीन को गिरफ्तार किया गया है, जबकि उमर नबी की धमाके में मौत हो गई थी। एक अन्य डॉक्टर निसार-उल-हसन, जो कश्मीर के निवासी हैं, फिलहाल लापता हैं.


साजिश की योजना

डॉक्टर मुझम्मिल, जो पुलवामा का निवासी है, हॉस्टल के रूम नंबर 13 में रहता था और वहीं से साजिश की रूपरेखा तैयार की जा रही थी। पूछताछ में यह सामने आया है कि ये लोग 6 दिसंबर, बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के आसपास बड़े धमाके की योजना बना रहे थे.


जांच में मिले सबूत

जांच एजेंसियों के अनुसार, आतंकियों ने विश्वविद्यालय की लैब से केमिकल को चोरी-छिपे हॉस्टल रूम तक पहुंचाया। पुलिस ने जब कमरे की तलाशी ली, तो वहां से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, पेन ड्राइव और कुछ रासायनिक पदार्थों के अवशेष मिले। प्रारंभिक जांच में यह भी पाया गया कि लाल किला धमाके में अमोनियम नाइट्रेट और फ्यूल ऑयल का इस्तेमाल किया गया था.


सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई

सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर उमर और डॉक्टर शाहीन ने मिलकर विश्वविद्यालय की लैब से केमिकल को फरीदाबाद के धौज और टागा गांवों तक पहुंचाया, जहां विस्फोटक सामग्री तैयार की जा रही थी.


विश्वविद्यालय प्रशासन का बयान

दो दिन की चुप्पी के बाद, अल-फलाह विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान जारी कर किसी भी संस्थागत संलिप्तता से इनकार किया है। विश्वविद्यालय का कहना है कि उनके किसी लैब में अवैध रासायनिक पदार्थों का भंडारण या उपयोग नहीं किया गया है और वे जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग दे रहे हैं.


आतंकवादियों के नेटवर्क की जांच

देश की सुरक्षा एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि डॉक्टरों के इस "व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल" के पीछे कौन से संगठन या अंतरराष्ट्रीय कड़ियाँ सक्रिय हैं.