हरियाणा में लिंगानुपात सुधार के लिए सख्त कदम उठाए गए

हरियाणा राज्य कार्य बल ने लिंगानुपात में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। एसटीएफ ने पांच जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से पीएनडीटी अधिनियम के तहत अधिकार वापस लेने का निर्णय लिया है। इस निर्णय का उद्देश्य अवैध गर्भपात पर रोक लगाना और 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत लिंगानुपात में सुधार लाना है। हरियाणा का लिंगानुपात इस वर्ष बढ़कर 905 हो गया है, लेकिन कुछ जिलों में गिरावट भी देखी गई है।
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हरियाणा में लिंगानुपात सुधार के लिए सख्त कदम उठाए गए

हरियाणा में लिंगानुपात सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय

हरियाणा राज्य कार्य बल (एसटीएफ) ने मंगलवार को लिंगानुपात में कमी के मुद्दे पर पांच जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीएनडीटी) अधिनियम के तहत सभी अधिकार वापस लेने का निर्णय लिया।


इस संबंध में एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि यह निर्णय अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में हुई एसटीएफ की साप्ताहिक बैठक में लिया गया। बैठक में अवैध गर्भपात पर रोक लगाने और 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत लिंगानुपात में सुधार के प्रयासों को तेज करने पर चर्चा की गई।


हरियाणा का लिंगानुपात इस वर्ष 1 जनवरी से 28 जुलाई के बीच बढ़कर 905 हो गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 899 था। 15 जिलों में सुधार देखने को मिला है, लेकिन अंबाला, भिवानी, चरखी दादरी, पलवल और सिरसा जैसे पांच जिलों में लिंगानुपात में गिरावट आई है।


राजपाल ने इन पांच जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से पीएनडीटी अधिनियम के तहत अधिकार वापस लेने का आदेश दिया है, और यह शक्तियां पड़ोसी जिलों के समकक्ष अधिकारियों को सौंपने का निर्देश दिया गया है, ताकि वे तुरंत कार्यभार संभाल सकें और सुधारात्मक कदम उठा सकें।