हरियाणा और पंजाब में दलितों की स्थिति: भेदभाव और उत्पीड़न की सच्चाई

हरियाणा और पंजाब में दलितों का उत्पीड़न

हरियाणा और पंजाब में दलित उत्पीड़न जारी
जब भी हम दलितों के उत्पीड़न और गरीबी की चर्चा करते हैं, तो अक्सर उत्तर प्रदेश और बिहार का नाम सामने आता है। हम मान लेते हैं कि यह समस्या केवल इन्हीं राज्यों में है, जबकि पंजाब और हरियाणा को हम नजरअंदाज कर देते हैं। दक्षिण भारत के राज्यों में भी जाति व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन हुए हैं, लेकिन हरियाणा में एक एडीजी रैंक के अधिकारी द्वारा आत्महत्या करने की घटना यह दर्शाती है कि दलितों के साथ भेदभाव हर जगह मौजूद है।
हरियाणा और पंजाब में दलितों की आर्थिक स्थिति यूपी-बिहार की तुलना में बेहतर है, लेकिन जातीय उत्पीड़न की समस्या यहां भी गंभीर है। जाट समुदाय की शक्ति के चलते, दलितों को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। हालांकि छुआछूत खत्म हो चुका है, लेकिन भेदभाव की भावना अभी भी जीवित है।
गोहाना और मिर्चीपुर की घटनाएँ
गोहाना कांड (2005) और मिर्चीपुर कांड (2010) की यादें आज भी दलितों को सिहरन देती हैं। गोहाना में दलितों के 50 घर जलाए गए थे, जबकि मिर्चीपुर में वाल्मीकि समुदाय के कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया था। इन घटनाओं में जाट समुदाय पर आरोप लगे थे, लेकिन न्यायालय ने सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया।
हरियाणा में दलितों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व
हरियाणा में दलितों की आबादी 21 प्रतिशत है, लेकिन इसके बावजूद कोई दलित मुख्यमंत्री नहीं बन सका। कई मुख्यमंत्री जाट समुदाय से आए हैं, और दलित नेताओं को हमेशा हाशिए पर रखा गया है। कुमारी शैलजा जैसे कुछ दलित नेता हैं, लेकिन जब भी उनके मुख्यमंत्री बनने की बात होती है, जाट नेता एकजुट हो जाते हैं।
जातीय भेदभाव की जड़ें
हरियाणा में जाट समुदाय की संख्या लगभग 25 प्रतिशत है, जो राजनीतिक और सामाजिक रूप से प्रभावशाली है। पुलिस और सरकारी नौकरियों में भी जाटों की भागीदारी अधिक है। अनुसूचित जातियों को आरक्षण मिलता है, लेकिन नियुक्तियों में भेदभाव की समस्या बनी रहती है।
हालिया आत्महत्याएँ और जातीय भेदभाव
हाल ही में, हरियाणा के एडीजी वाई पूरन कुमार ने आत्महत्या कर ली, जिसमें उन्होंने जातीय भेदभाव का आरोप लगाया। उनके बाद एक सहायक उप निरीक्षक ने भी आत्महत्या की और पूरन कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। यह घटनाएँ दर्शाती हैं कि जातीय भेदभाव की समस्या कितनी गंभीर है।
जाति व्यवस्था का प्रभाव
हरियाणा और पंजाब जैसे समृद्ध राज्यों में भी जाति व्यवस्था का प्रभाव बना हुआ है। गुरु नानक और आर्य समाज ने जाति भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी, लेकिन भारतीय समाज में जाति का प्रभाव अभी भी गहरा है।
डेरों का प्रभाव
डेरों में दलित समुदाय की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। जातीय उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है, ताकि सभी को समानता का अधिकार मिल सके।