हनुमान जी की शक्तियों की पुनः याद दिलाने वाली कथा

इस लेख में हनुमान जी की शक्तियों को पुनः याद दिलाने वाली कथा का वर्णन किया गया है। जानें कैसे जामवंत ने बजरंगबली को उनकी अद्भुत शक्तियों का अहसास कराया और रामायण की महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया है। यह कहानी न केवल धार्मिक मान्यता को दर्शाती है, बल्कि हनुमान जी की महिमा को भी उजागर करती है।
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हनुमान जी की शक्तियों की पुनः याद दिलाने वाली कथा

हनुमान जी की कहानी

हनुमान जी की शक्तियों की पुनः याद दिलाने वाली कथा

हनुमान जी

हनुमान जी की कथा: रामायण हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन और उनके कार्यों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें श्रीराम के बचपन से लेकर उनके 14 वर्षों के वनवास, सीता के अपहरण, रावण का वध और लंका लौटने की घटनाएं शामिल हैं। हनुमान जी, जो श्रीराम के परम भक्त हैं, का भी रामायण में विशेष उल्लेख है।

रामायण के साथ-साथ रामचरित मानस में भी हनुमान जी और श्रीराम की महिमा का वर्णन किया गया है। हनुमान जी बचपन से ही शक्तिशाली थे, लेकिन अपनी शक्तियों का उपयोग वे अक्सर शरारतों में करते थे। रामायण की कथा में वर्णित है कि हनुमान जी वन में भी कई बार ऋषियों की साधना में विघ्न डालते थे।

ऋषियों का श्राप

हनुमान जी की शरारतों से परेशान होकर ऋषि अंगिरा और भृगृवंश के ऋषियों ने उन्हें श्राप दिया कि वे अपनी सभी शक्तियों को भूल जाएंगे। हनुमान जी ने जब उनसे क्षमा मांगी, तो ऋषियों ने कहा कि एक दिन उन्हें उनकी शक्तियों की याद दिलाई जाएगी।

रामायण के अनुसार, माता सीता के अपहरण के बाद हनुमान जी और वानरों का एक दल किष्किंधा से माता सीता की खोज में निकला। जब वे समुद्र तट पर पहुंचे, तो गिद्धराज जटायु के भाई संपाती ने उन्हें बताया कि रावण ने माता सीता को लंका ले जाया है।

जामवंत द्वारा शक्तियों की याद दिलाना

संपाती ने बताया कि उन्हें रावण के महल का दृश्य दिखाई दे रहा है और माता सीता को वापस लाने के लिए समुद्र पार करना होगा। यह सुनकर वानर और रीछ निराश हो गए। तभी रीछराज जामवंत ने हनुमान जी को उनकी शक्तियों की याद दिलाई।

जामवंत का संदेश

“कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहयो बलवाना।।

पवन तनय बल पवन समाना। बुधि विवेक विष्यान निधाना।।

कवन सो काज कठिन जगमाही। जो नहि होइ तात तुम्हपाही’।।

जामवंत ने कहा, "हे हनुमान! तुम चुप क्यों हो? तुम पवन के पुत्र हो और बल में पवन के समान हो। तुम बुद्धि और विवेक के धनी हो। इस संसार में ऐसा कौन सा कार्य है जो तुम नहीं कर सकते?" हनुमान जी ने जामवंत की बातें सुनीं, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। फिर जामवंत ने कहा-

“राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहि भयउ पर्वता कारा”।।

हे हनुमान! तुमने भगवान श्रीराम के कार्य के लिए अवतार लिया है। यह सुनते ही हनुमान जी को उनकी सारी शक्तियां याद आ गईं और उनका शरीर पर्वत के समान हो गया।