हनुमान जी की पूंछ के रहस्यमय तथ्य और शक्तियां

हनुमान जी की पूंछ का रहस्य
पौराणिक ग्रंथों में हनुमान जी की पूंछ से जुड़ी कई दिलचस्प और रहस्यमयी बातें सामने आती हैं। रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में यह उल्लेखित है कि जब भी कोई राक्षस या अन्य पात्र उनकी पूंछ को पकड़ने की कोशिश करता, वह हमेशा असफल रहता।
एक प्रसिद्ध घटना में, जब रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने का आदेश दिया, तो हनुमान जी ने खुद को जलने से बचा लिया, लेकिन अपनी अग्निमय पूंछ से उन्होंने पूरी लंका को नष्ट कर दिया। यह माना जाता है कि उनकी पूंछ में अग्नि तत्व का स्थायी निवास था। अग्नि देव को शुद्धि और विनाश का प्रतीक माना जाता है, और हनुमान जी की पूंछ इस अग्नि शक्ति को नियंत्रित करने की क्षमता रखती थी।
हनुमान जी का रुद्रावतार
हनुमान जी को शिव के रुद्रावतार के रूप में माना जाता है, और उनकी पूंछ में उसी रुद्रत्व और तेज का प्रतीक होता है। कुछ आध्यात्मिक परंपराओं में इसे 'कुंडलिनी शक्ति' का प्रतीक माना गया है, जो एक दिव्य ऊर्जा है जो मूलाधार चक्र से सहस्रार तक जाती है। यह शक्ति ब्रह्मांडीय संतुलन और आत्मिक जागरण से जुड़ी मानी जाती है।
हनुमान जी की पूंछ की अद्भुत शक्तियां
हनुमान जी की पूंछ को एक चमत्कारी अंग माना गया है, जो आवश्यकता अनुसार लंबी या छोटी हो सकती थी। लंका दहन के समय उन्होंने इसे कई बार बढ़ाया।
जब यह पूंछ सक्रिय होती, तो यह शत्रुओं के लिए विनाशकारी बन जाती। यही पूंछ लंका को जलाकर राख करने वाली बनी।
वानर रूप में उनकी पूंछ शारीरिक संतुलन बनाए रखती थी, और यह संतुलन जीवन और धर्म में भी आवश्यक माना जाता है।
शिव पुराण में उल्लेख है कि हनुमान जी की पूंछ पर महादेव की कृपा है। यह पूंछ किसी साधारण अंग से कहीं अधिक, दिव्यता और शक्ति का स्रोत है।
क्या पूंछ में देवी पार्वती का निवास है?
एक प्राचीन कथा के अनुसार, जब रावण ने शिव जी से वह दिव्य महल मांगा था, जो उन्होंने माता पार्वती के लिए बनवाया था, तो माता अत्यंत क्रोधित हुईं। शिवजी ने उन्हें आश्वासन दिया कि जब वह त्रेता युग में हनुमान के रूप में अवतरित होंगे, तब माता पार्वती उनकी पूंछ में निवास करके लंका को जलाकर अपना क्रोध शांत करेंगी। इसलिए कई मान्यताओं में यह भी कहा जाता है कि हनुमान जी की पूंछ में देवी पार्वती का वास है।
भक्तों की आस्था और पूंछ की परिक्रमा
आज भी अनेक भक्त हनुमान जी की पूंछ की परिक्रमा करते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। कई श्रद्धालुओं को स्वप्न में उनकी पूंछ के दर्शन भी होते हैं, जिसे ईश्वरीय संरक्षण और कृपा का संकेत माना जाता है।