हनुमान जी का लंका दहन: रावण के महल को क्यों छोड़ा?

रामायण में हनुमान जी द्वारा लंका दहन की कहानी एक महत्वपूर्ण घटना है, जो अहंकार के विनाश का प्रतीक मानी जाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि हनुमान जी ने लंका को जलाने के बावजूद रावण के महल को क्यों नहीं छोड़ा। क्या इसका संबंध विभीषण की भक्ति से है? आइए, इस रहस्य को समझते हैं और जानते हैं कि हनुमान जी का असली उद्देश्य क्या था।
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हनुमान जी का लंका दहन: रावण के महल को क्यों छोड़ा?

लंका दहन की कथा

हनुमान जी का लंका दहन: रावण के महल को क्यों छोड़ा?

लंका दहन की कहानीImage Credit source: Freepik

लंका दहन रामायण: रामायण में हनुमान जी द्वारा लंका को जलाने का उल्लेख मिलता है, जिसे अहंकार के नाश का प्रतीक माना जाता है। माता सीता की खोज में हनुमान जी लंका पहुंचे थे। जब उन्होंने माता सीता से मिलने के बाद भूख महसूस की, तो उन्होंने अशोक वाटिका में फल खाने का निर्णय लिया और वृक्षों को उखाड़ने लगे। यह समाचार रावण तक पहुंचा, जिसने अपने पुत्र अक्षय कुमार को वहां भेजा, लेकिन अक्षय कुमार हनुमान जी के हाथों मारे गए।

इसके बाद, मेघनाद ने अशोक वाटिका में जाकर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, जिससे हनुमान जी उस में बंध गए और रावण की सभा में पहुंचे, जहां उनकी पूंछ में आग लगा दी गई। इस अपमान का बदला लेने के लिए हनुमान जी ने लंका को आग में झोंक दिया। लेकिन एक बड़ा सवाल आज भी लोगों को परेशान करता है: हनुमान जी ने रावण का महल क्यों नहीं जलाया?

विभीषण की भक्ति का सम्मान

जब हनुमान जी लंका को जलाने लगे, तो उन्होंने देखा कि नगरी में राक्षसी प्रवृत्ति का बोलबाला है, लेकिन एक स्थान ऐसा था जहां राम नाम का जाप हो रहा था। वह स्थान रावण के छोटे भाई विभीषण का था, जो प्रभु श्रीराम के भक्त थे। शास्त्रों के अनुसार, भक्त का घर भगवान के लिए मंदिर के समान होता है।

इसीलिए, हनुमान जी ने विभीषण के भवन को सुरक्षित छोड़ने का निर्णय लिया। चूंकि विभीषण का घर रावण के महल के निकट था, हनुमान जी ने उस क्षेत्र की सुरक्षा का ध्यान रखा। रावण के महल को न जलाने का एक और कारण माता सीता थीं, जिनका पता लगाना और उन्हें सुरक्षित रखना हनुमान जी का मुख्य उद्देश्य था। रावण का महल और अशोक वाटिका एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।

रावण का घमंड चूर किया

हनुमान जी को डर था कि यदि उन्होंने रावण के मुख्य महल को पूरी तरह से जला दिया, तो उसकी लपटें अशोक वाटिका तक पहुंच सकती हैं, जिससे माता सीता को नुकसान हो सकता था। हनुमान जी का उद्देश्य लंका का विनाश नहीं, बल्कि रावण के घमंड को तोड़ना था। उन्होंने लंका को आग में झोंककर यह संदेश दिया कि एक दूत की इतनी शक्ति है, तो प्रभु श्रीराम की सेना क्या कर सकती है।

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