सौभाग्य सुंदरी तीज 2025: जानें कब है यह पर्व और इसका महत्व

सौभाग्य सुंदरी तीज 2025 का पर्व अगहन मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाएगा। यह व्रत वैवाहिक जीवन की खुशहाली और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है। जानें इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और कब है यह पर्व।
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सौभाग्य सुंदरी तीज 2025: जानें कब है यह पर्व और इसका महत्व

सौभाग्य सुंदरी व्रत 2025

सौभाग्य सुंदरी तीज 2025: जानें कब है यह पर्व और इसका महत्व

सौभाग्य सुंदरी व्रत 2025


सौभाग्य सुंदरी व्रत 2025: हिंदू धर्म में कजरी तीज, हरियाली तीज और हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। इसके अलावा, सौभाग्य सुंदरी तीज भी मनाई जाती है, जो हर साल अगहन मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को होती है। यह व्रत मुख्य रूप से वैवाहिक जीवन की खुशहाली और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत से अखंड सौभाग्य, वैवाहिक सुख और संतान की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए रख सकती हैं। इसे सौभाग्य और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।


सौभाग्य सुंदरी व्रत कब है?


सौभाग्य सुंदरी व्रत मार्गशीर्ष या अगहन महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की शुरुआत 6 नवंबर से होगी, और यह व्रत 8 नवंबर 2025, शनिवार को रखा जाएगा।


सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व


वैवाहिक जीवन में खुशहाली: यह व्रत वैवाहिक जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाता है।

अखंड सौभाग्य: इस व्रत से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।

संतान सुख: संतान की सुख-समृद्धि की कामना के लिए भी सौभाग्य सुंदरी व्रत रखा जाता है।

विवाह की बाधाएं दूर: कुंवारी कन्याएं विवाह में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए यह व्रत करती हैं।

मांगलिक दोष से मुक्ति: यह व्रत कुंडली के मांगलिक दोष को दूर करने में भी लाभकारी माना जाता है।


सौभाग्य सुंदरी तीज पूजा विधि


  • उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
  • इसके बाद नौ ग्रहों की पूजा करें।
  • भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा करें।
  • माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें और रोली, कुमकुम, चावल व सुपारी अर्पित करें।
  • भगवान शिव को बेलपत्र, जल, धतूरा आदि अर्पित करें।
  • फिर समस्त शिव परिवार की पूजा करें और आरती करें।
  • पूजा करने के बाद दान-पुण्य करें।