सोने की कीमतों में वृद्धि: भारतीय खरीदारों ने अपनाया नया तरीका
सोने की महंगाई के बीच नया विकल्प
सोने की महंगाई के बीच पनपा एक नया विकल्प
वर्तमान में सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं। भारतीय परिवारों में शादी-ब्याह के अवसर पर सोने की खरीदारी एक परंपरा रही है, लेकिन इस वर्ष स्थिति कुछ भिन्न है। सोने की कीमतें लगातार नए रिकॉर्ड बना रही हैं, जिससे आम लोगों का बजट प्रभावित हो गया है। फिर भी, भारतीय खरीदारों ने महंगाई का सामना करने के लिए एक नया और स्मार्ट तरीका खोज निकाला है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, भले ही सोने के दाम अपने उच्चतम स्तर पर हों, लेकिन सर्राफा बाजार में गतिविधियां थम नहीं रही हैं। खरीदारी जारी है, लेकिन अब लोग 22 कैरेट सोने के बजाय 14 और 18 कैरेट की ज्वैलरी को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह बदलाव ज्वैलरी बाजार में एक नए ट्रेंड की शुरुआत कर रहा है।
सस्ते विकल्प की बढ़ती लोकप्रियता
22 कैरेट की जगह ले रहा सस्ता विकल्प
पिछले कई दशकों से यह माना जाता था कि 14 या 18 कैरेट सोने का उपयोग केवल डायमंड ज्वैलरी बनाने के लिए किया जाता है, क्योंकि इसमें मजबूती की आवश्यकता होती है। लेकिन अब बढ़ती कीमतों ने लोगों को प्लेन गोल्ड ज्वैलरी में भी इन विकल्पों को चुनने पर मजबूर कर दिया है। बाजार में अब एक नया सेगमेंट उभर कर आया है, जहां कम कैरेट की ज्वैलरी शान से बेची और खरीदी जा रही है।
इस बदलाव को समझने के लिए एक ग्राहक पारुल का उदाहरण काफी सटीक है। उन्होंने हाल ही में बताया कि किस तरह महंगाई ने उनके फैसले बदले। पारुल कहती हैं, “मैंने अपनी बेटी के लिए तो 22 कैरेट की ज्वैलरी खरीदी, लेकिन अब सोना इतना महंगा हो गया है कि बेटे की लकी (चेन) के लिए मैं 14 या 18 कैरेट का विकल्प चुन रही हूं।” यह केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि देश के हजारों घरों में बजट को संभालने के लिए यही गणित लगाया जा रहा है।
सोने की मांग में कमी
आधी रह गई शुद्ध सोने की मांग
अहमदाबाद ज्वैलर्स एसोसिएशन के अनुसार, साल 2025 की शुरुआत में सोने का भाव लगभग 80,000 रुपये प्रति 10 ग्राम था। साल खत्म होते-होते यह आंकड़ा लगभग दोगुना होकर 1.42 लाख रुपये तक पहुंच गया। इतनी भारी बढ़त ने खरीदारों की कमर तोड़ दी है।
बाजार के जानकारों का कहना है कि दो साल पहले तक शादियों में 22 कैरेट ज्वैलरी बनवाने की हिस्सेदारी कुल खरीदारी में 75% थी। लेकिन अब यह घटकर मात्र 50% रह गई है। गोल्ड एक्सपर्ट मनोज सोनी बताते हैं कि सोने के बिना भारतीय शादियां फीकी लगती हैं, इसलिए लोग खरीदना बंद नहीं कर सकते। ऐसे में अंगूठी, ब्रेसलेट और यहां तक कि डायमंड ज्वैलरी के बेस मेटल के रूप में 14 से 18 कैरेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है।
सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण
आखिर क्यों लगी है सोने में आग?
आम आदमी के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर सोना इतना महंगा क्यों हो रहा है? कमोडिटी एक्सपर्ट्स इसके पीछे कई अंतरराष्ट्रीय कारण मानते हैं। दुनिया भर में जियोपॉलिटिकल टेंशन यानी राजनीतिक तनाव चरम पर है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा, वहीं अमेरिका द्वारा वेनेजुएला से कच्चे तेल की शिपमेंट पर रोक और नाइजीरिया में ISIS के खिलाफ की गई मिलिट्री स्ट्राइक ने आग में घी डालने का काम किया है।
जब भी दुनिया में तनाव बढ़ता है, निवेशक सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की तरफ भागते हैं, जिससे कीमतें बढ़ती हैं। इसके अलावा, अमेरिका में महंगाई दर कम हो रही है और वहां के लेबर मार्केट में नरमी देखी जा रही है। बाजार को उम्मीद है कि अगले साल यूएस फेड ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। जब ब्याज दरें घटती हैं, तो सोने में निवेश और भी आकर्षक हो जाता है, जिससे इसकी कीमतों को और सपोर्ट मिल रहा है।
