सोने की कीमतों में वृद्धि: केंद्रीय बैंकों की खरीदारी का प्रभाव
सोने की कीमतों में वृद्धि का कारण
नई दिल्ली: इस वर्ष सोने की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसका मुख्य कारण यह है कि कई देशों के केंद्रीय बैंक बड़े पैमाने पर सोने की खरीद कर रहे हैं। इस साल, इन बैंकों ने 830 टन से अधिक सोना खरीदा है। पहले छह महीनों में, 23 देशों ने अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाया है। पिछले तीन वर्षों में, इन बैंकों ने 1000 टन से अधिक सोना खरीदा है। यह लगातार 16वां वर्ष है जब केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीदारी की है। इससे पहले, कभी भी इतने लंबे समय तक सोने की खरीदारी नहीं की गई थी। 2010 से पहले, इन बैंकों ने लगातार 21 वर्षों तक सोने की बिक्री की थी।
केंद्रीय बैंकों की रणनीति
2017 के बाद से, अधिकांश देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की हिस्सेदारी को कम किया है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी लगभग 15% तक पहुंच गई है। अमेरिका, जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, के पास सबसे अधिक गोल्ड रिजर्व है, जिसमें कुल 8,133.5 टन सोना है, जो उसके कुल विदेशी भंडार का 78.7% है। इसके बाद जर्मनी (3,350.3 टन), इटली (2,451.8 टन), फ्रांस (2,437 टन), रूस (2,326.5 टन), चीन (2,302.3 टन), स्विट्जरलैंड (1,039.9 टन), भारत (880 टन), जापान (846 टन) और तुर्की (639 टन) का स्थान है।
सोने की हिस्सेदारी में बदलाव
जर्मनी के फॉरेक्स रिजर्व में सोने की हिस्सेदारी 78.6% तक पहुंच गई है, जो अगस्त 2017 में 69.6% थी। इस दौरान, जर्मनी के विदेशी मुद्रा भंडार में यूएस ट्रेजरी बिल की हिस्सेदारी में काफी कमी आई है। अगस्त 2017 में यह 427.1 अरब डॉलर थी, जो जुलाई 2025 में घटकर 107.7 अरब डॉलर रह गई। इटली के फॉरेक्स रिजर्व में सोने की हिस्सेदारी 75.4% हो गई है, जो अगस्त 2017 में 66.4% थी। इसी तरह, फ्रांस के फॉरेक्स रिजर्व में सोने की हिस्सेदारी 59.8% से बढ़कर 75.8%, रूस में 17.1% से 38%, चीन में 2.3% से 7%, स्विट्जरलैंड में 5.2% से 11.4%, भारत में 5.6% से 13.8%, जापान में 2.4% से 7% और तुर्की में 11.3% से 43.7% तक पहुंच गई है।
