सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी का बयान: ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव और थिएटरीकरण की आवश्यकता
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि यह अभियान केवल तीन दिनों में समाप्त नहीं हुआ। उन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और सीमा पर घुसपैठ के प्रयासों की निरंतरता पर भी प्रकाश डाला। इसके अलावा, जनरल द्विवेदी ने थियेटरीकरण की आवश्यकता और सशस्त्र बलों के बीच तालमेल के महत्व पर जोर दिया। जानें इस महत्वपूर्ण बयान के सभी पहलू।
Sep 6, 2025, 12:18 IST
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ऑपरेशन सिंदूर का विस्तृत विवरण
सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को जानकारी दी कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में 7 मई को शुरू किया गया भारत का सैन्य अभियान, जिसे ऑपरेशन सिंदूर कहा जाता है, केवल तीन दिनों में समाप्त नहीं हुआ, बल्कि यह एक लंबी प्रक्रिया थी। नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में उन्होंने कहा कि आप सोच सकते हैं कि 10 मई को युद्ध खत्म हो गया था, लेकिन वास्तव में यह एक विस्तारित अभियान था, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने थे। उन्होंने यह भी बताया कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर चुनौतियों का सामना करना अभी भी जारी है।
आतंकवाद और घुसपैठ के प्रयास
जनरल द्विवेदी ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर ऑपरेशन सिंदूर के प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद समाप्त नहीं हुआ है और सीमा पर घुसपैठ के प्रयास अभी भी जारी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कितने आतंकवादी मारे गए हैं और कितने बच निकले हैं।
सशस्त्र बलों के बीच तालमेल
सेना प्रमुख ने ऑपरेशन के दौरान सशस्त्र बलों के बीच तालमेल के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने भारतीय सेना की समन्वित गतिविधियों की तुलना एक लयबद्ध लहर से की, जिसमें सभी सदस्य एक साथ काम कर रहे थे और अपने आदेशों के प्रति पूरी तरह से जागरूक थे।
थियेटरीकरण की आवश्यकता
तीनों सेनाओं के एकीकरण पर बोलते हुए, जनरल द्विवेदी ने कहा कि थिएटरीकरण की प्रक्रिया अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध में, जहाँ कई एजेंसियाँ शामिल होती हैं, एक एकीकृत कमान संरचना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने अन्य सेना प्रमुखों के विचारों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि इतनी सारी एजेंसियों के साथ समन्वय करना है, तो थिएटरीकरण ही इसका समाधान है।