सेज यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जिमी मगिलिगन सेंटर में सस्टेनेबल जीवन की अवधारणा सीखी

इंदौर में छात्रों का प्रेरणादायक दौरा
इंदौर: सेज यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर एप्लीकेशन विभाग के एमसीए और बीसीए के छात्रों और शिक्षकों ने 17 अक्टूबर को सनावदिया में स्थित जिमी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट का दौरा किया। इस दौरान, पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त निदेशिका डॉ. (श्रीमती) जनक पलटा मगिलिगन के मार्गदर्शन में छात्रों ने प्राकृतिक संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग से सस्टेनेबल जीवन की अवधारणा को समझा। यह अनुभव छात्रों के लिए प्रेरणादायक रहा, जहां उन्होंने अक्षय ऊर्जा, जल संरक्षण और जीरो-वेस्ट जीवनशैली के पहलुओं को देखा।
सौर और पवन ऊर्जा का प्रदर्शन
डॉ. मगिलिगन ने छात्रों का स्वागत करते हुए सेंटर का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने सबसे पहले सूर्य और पवन ऊर्जा से संचालित 2 किलोवाट का सोलर और विंड मिल सिस्टम दिखाया, जिसे उनके दिवंगत पति जिमी मगिलिगन ने 2010 में स्थापित किया था। यह सिस्टम पिछले 15 वर्षों से 50 आदिवासी भूमिहीन परिवारों के लिए 19 स्ट्रीट लाइट्स को रोशन कर रहा है। छात्रों ने 60 फुट ऊंचे पवन पंखे को चलते हुए देखकर आश्चर्य व्यक्त किया।
सौर कुकर का अद्भुत अनुभव
इसके बाद, छात्रों ने सोलर कुकर में जैविक दाल, सब्जी और उबलते पानी को देखकर विज्ञान का प्रत्यक्ष अनुभव किया। अगली आकर्षक झलक थी 'विज्ञान से सूर्य का चमत्कार'—जिमी मगिलिगन द्वारा निर्मित बड़ी सोलर किचन, जो ऑटो-ट्रैकिंग शेफ्लर डिश से सूर्य के साथ चल रही थी। यहां सोलर फ्राइंग हो रही थी, और किचन में न धुआं था न चूल्हे की गर्मी। डॉ. मगिलिगन ने बताया कि साल के लगभग 300 दिन खाना सोलर कुकरों पर बनता है।
जल संरक्षण और जैविक खेती
सेंटर का तालाब वर्षा जल से भूजल स्तर को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे सूख चुकी बोरिंग पुनर्जीवित हो गई है। यहां आम, जामुन, पपीता, शहतूत, सीताफल, मौसमी, नींबू जैसे फलदार पेड़ और औषधीय पौधे जैसे अरीठा, नीम, एलोवेरा भी लगे हैं। किचन का ग्रे वाटर पुदीना, बैंगन, टमाटर, प्याज, लहसुन आदि के लिए उपयोग किया जाता है। अधिकांश सब्जियां सोलर ड्रायर से सुखाकर साल भर स्टोर की जाती हैं।
संवाद सत्र में सस्टेनेबल जीवन की बातें
परिसर भ्रमण के बाद संवाद सत्र में डॉ. मगिलिगन ने कहा, 'मेरे जीवन का उद्देश्य ईश्वर को हर पल धन्यवाद देना है। सस्टेनेबल जीवन का पहला नियम संयम से प्राकृतिक संसाधनों का प्रदूषण-मुक्त वैज्ञानिक सदुपयोग है।' छात्रों और शिक्षकों ने इस दौरे को उनके जीवन की दिशा निर्धारित करने वाला बताया। सहायक प्रोफेसर स्वप्निल शुक्ला ने कहा, 'यहां आना प्रेरणादायक और अद्भुत वैज्ञानिक अनुभव था।'
पर्यावरण जागरूकता का महत्वपूर्ण कदम
यह दौरा कंप्यूटर एप्लीकेशन जैसे तकनीकी क्षेत्र के छात्रों के लिए पर्यावरण जागरूकता का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ, जो उन्हें विज्ञान को सस्टेनेबिलिटी से जोड़ने की प्रेरणा देगा।