सूर्यग्रहण 21 सितंबर: दान का महत्व और धार्मिक मान्यताएँ

सूर्यग्रहण की तिथि और समय

सूर्यग्रहण के पश्चात इन चार चीजों का दान ज़रूरी
सूर्यग्रहण की जानकारी: 21 सितंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण सूर्यग्रहण होगा। यह घटना रात 10:59 बजे प्रारंभ होगी और 22 सितंबर की सुबह 3:23 बजे समाप्त होगी। इसका चरम समय रात 1:11 बजे होगा। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां सूतक का कोई महत्व नहीं है। फिर भी, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण का मोक्षकाल स्नान और दान के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है.
ग्रहण के बाद दान का महत्व
दान का महत्व:
शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। इसलिए, ग्रहण के बाद शुद्धिकरण के लिए स्नान और दान की परंपरा का पालन किया जाता है। इसे पितरों को तृप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला माना जाता है.
मोक्षकाल में दान करने योग्य वस्तुएं
अनाज का दान:
ग्रहण के बाद भूखों को अनाज दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है, विशेषकर चावल, गेहूं और दालें.
वस्त्र का दान:
शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण समाप्त होने के बाद गरीबों को वस्त्र दान करने से पाप कटते हैं और भाग्य में वृद्धि होती है.
दूध और दुग्ध उत्पाद:
ग्रहण के मोक्षकाल में दूध, दही, घी आदि का दान करने से चंद्र और सूर्य दोनों ग्रह प्रसन्न होते हैं, जिससे मानसिक शांति मिलती है.
मिठाई या शुद्ध वस्तुएं:
सफेद या शुद्ध चीज़ें जैसे गुड़ और मिठाई का दान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है.
धार्मिक मान्यता
धार्मिक दृष्टिकोण:
पौराणिक कथाओं में दान का महत्व बताया गया है, जिससे ग्रहणकाल के दोष दूर होते हैं। इसलिए, जब भी चंद्र या सूर्यग्रहण होता है, लोग स्नान और दान की परंपरा का पालन करते हैं। ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि 21 सितंबर को ग्रहण के बाद इन चार वस्तुओं का दान करने से जीवन में सौभाग्य और पितृ कृपा प्राप्त होती है। इसलिए, इस सूर्यग्रहण के मोक्षकाल को साधारण न समझें। सही समय पर स्नान और दान से न केवल ग्रहण दोष दूर होंगे, बल्कि भविष्य भी शुभ हो सकता है.