सूर्यकुमार यादव का अंतिम टूर्नामेंट: T20 कप्तान बनने की ओर बढ़ते कदम

भारतीय क्रिकेट का नया अध्याय

भारतीय क्रिकेट टीम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है। एशिया कप 2025 का आगाज़ हो चुका है और इस बार सभी की नजरें कप्तान सूर्यकुमार यादव पर हैं। यह टूर्नामेंट न केवल भारत के लिए खिताब जीतने का एक बड़ा अवसर है, बल्कि सूर्या के करियर का भी अंतिम अध्याय साबित हो सकता है।
हाल ही में आई खबरों के अनुसार, सूर्या इस टूर्नामेंट के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह सकते हैं। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी जानकारी।
सूर्यकुमार यादव की उम्र और करियर
सूर्यकुमार यादव अब 35 साल के हो चुके हैं
भारतीय क्रिकेट के टी20 कप्तान सूर्यकुमार यादव अब 35 वर्ष के हो चुके हैं। इस उम्र में किसी भी बल्लेबाज के करियर का अंतिम चरण माना जाता है। हाल ही में उन्होंने एक सर्जरी करवाई थी, जिसके कारण वह कुछ समय तक खेल से दूर रहे।
एशिया कप: सुनहरा विदाई मंच
एशिया कप: सुनहरा विदाई मंच
सूर्यकुमार यादव को पूरी दुनिया ‘मिस्टर 360’ के नाम से जानती है। उनके अनोखे शॉट्स और बल्लेबाजी की शैली ने उन्हें अलग पहचान दिलाई है। अब तक उन्होंने भारत के लिए 80 से अधिक T20 मैच खेले हैं, जिनमें 2500 से ज्यादा रन बनाए हैं।
उनके नाम 4 शतक और 20 से अधिक अर्धशतक भी हैं। एशिया कप 2025 उनके लिए खास है क्योंकि वह बतौर कप्तान टीम को खिताब दिलाकर शानदार विदाई लेना चाहेंगे। यदि ऐसा होता है, तो यह उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक होगी।
गिल को मिली उपकप्तानी: बड़ा संकेत
गिल को मिली उपकप्तानी: बड़ा संकेत
इस बार टीम इंडिया की घोषणा में सबसे बड़ी चर्चा का विषय शुभमन गिल की उपकप्तानी है। पहले यह जिम्मेदारी अक्षर पटेल के पास थी, लेकिन अब चयनकर्ताओं ने गिल को यह भूमिका देकर संकेत दिया है कि वे भविष्य की कप्तानी की तैयारी कर रहे हैं।
गिल ने 2023 में टी20I डेब्यू किया था और अब तक 21 मैचों में 578 रन बनाए हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ उनका नाबाद 126 रन और वेस्टइंडीज के खिलाफ 77 रन जैसी पारियां साबित करती हैं कि उनमें बड़े मंच पर लीडरशिप की काबिलियत है।
निष्कर्ष
निष्कर्ष
सूर्यकुमार यादव का करियर भारतीय क्रिकेट में हमेशा याद किया जाएगा। उनकी बल्लेबाजी शैली, कप्तानी और जज़्बा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा। एशिया कप 2025 उनके करियर का अंतिम बड़ा मंच हो सकता है। यदि वे यहां टीम को जीत दिलाते हैं, तो यह विदाई भारतीय क्रिकेट इतिहास की सबसे सुनहरी कहानियों में दर्ज हो जाएगी।