सूर्य मुद्रा के अद्भुत लाभ और बनाने की विधि

सूर्य मुद्रा के लाभ
योगासन का अभ्यास शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसी तरह, नियमित रूप से कुछ समय के लिए योग मुद्रा में बैठना भी फायदेमंद है। विभिन्न योग मुद्राओं में से, सूर्य मुद्रा के कई अद्भुत लाभ हैं। अनामिका अंगुली, जिसे रिंग फिंगर भी कहा जाता है, सूर्य और यूरेनस ग्रह से जुड़ी होती है। सूर्य ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्रतीक है, जबकि यूरेनस अंतर्ज्ञान और परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है। इस मुद्रा का केवल 10 मिनट का अभ्यास करने से 13 अद्भुत लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
सूर्य मुद्रा बनाने की विधि
हमारी अनामिका अंगुली पृथ्वी तत्व से संबंधित है, जबकि अंगूठा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य मुद्रा बनाने के लिए, पहले एक साफ जगह पर चटाई या कम्बल बिछाकर पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में बैठें। फिर, दोनों हाथों की अनामिका अंगुली के अगले हिस्से को अंगूठे के आधार पर रखें और अंगूठे को हल्के से दबाएं। यह प्रक्रिया पृथ्वी तत्व को दबाकर अग्नि तत्व को बढ़ाती है। इस दौरान सांसें सामान्य रखें और अपने अंदर गर्मी का अनुभव करें, जिससे इसका सकारात्मक प्रभाव जल्दी पड़ेगा।
अवधि
सूर्य मुद्रा का अभ्यास लगभग 10 से 15 मिनट तक करना चाहिए। इसे अधिक समय तक करने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। सर्दियों में, इस मुद्रा का अभ्यास अधिकतम 24 मिनट तक किया जा सकता है।
सावधानियाँ
जिन लोगों में पित्त की अधिकता है, जैसे गले में जलन, एसिडिटी, चिड़चिड़ापन, या त्वचा पर चकत्ते, उन्हें इस मुद्रा का अधिक अभ्यास नहीं करना चाहिए। गर्मियों में इस मुद्रा का अभ्यास कम करना चाहिए।
सूर्य मुद्रा के 13 चमत्कारी फायदे
- यह मुद्रा वजन कम करने में मदद करती है और शरीर को संतुलित रखती है।
- रोजाना 5 से 15 मिनट का अभ्यास करने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
- इस मुद्रा से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और ताकत मिलती है।
- यह चिंता और बेचैनी को कम करती है, जिससे मन शांत रहता है।
- यह मोटापे को कम करने में सहायक है और सूजन को दूर करती है।
- कमजोर शरीर वाले व्यक्तियों को इसे नहीं करना चाहिए।
- बच्चा होने के बाद मोटापा बढ़ने वाली महिलाओं के लिए यह लाभकारी है।
- यह पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करती है।
- यह शरीर को हल्का और चुस्त बनाती है।
- गर्मी के मौसम में इसे करने से पहले पानी पीना चाहिए।
- यह अंतर्ज्ञान को जागृत करती है।
- अनामिका अंगुली और अंगूठे के मिलन से ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- प्रातः सूर्योदय के समय इस मुद्रा का अभ्यास अधिक लाभकारी होता है।