सूर्य ग्रहण का सूतक काल: जानें कब शुरू होगा और क्या करें

सूर्य ग्रहण का सूतक काल
सूर्य ग्रहण का सूतक काल: इस वर्ष का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण रविवार, 21 सितंबर को होने वाला है। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। सूतक काल ग्रहण के आरंभ होने से पहले ही शुरू हो जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गों को सूतक काल के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। सूर्य ग्रहण का गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे उनके बच्चों पर नकारात्मक असर हो सकता है। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होता है, लेकिन इस बार यह सर्व पितृ अमावस्या पर होगा। आइए जानते हैं तिरुपति के ज्योतिषी डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से कि सूर्य ग्रहण का सूतक काल कब शुरू होगा। क्या भारत में सूतक काल मान्य होगा?
सूर्य ग्रहण का समय

सूर्य ग्रहण का समय:
21 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन, सूर्य ग्रहण भारतीय मानक समय के अनुसार रात 10:59 बजे शुरू होगा। ग्रहण का चरम समय 1:11 बजे होगा। यह ग्रहण 22 सितंबर को सुबह 3:23 बजे समाप्त होगा। इस दिन शारदीय नवरात्रि भी शुरू हो रही है।
सूतक काल की जानकारी
सूतक काल:
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रहण का सूतक काल इसके आरंभ होने से 12 घंटे पहले शुरू होता है। इस हिसाब से, 21 सितंबर को सुबह 10:59 बजे से सूतक काल शुरू होगा और यह ग्रहण समाप्त होने तक जारी रहेगा।
क्या भारत में सूतक काल मान्य होगा?
क्या भारत में सूतक काल मान्य होगा?
इस वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए, इसका सूतक काल हमारे देश में मान्य नहीं होगा। इस प्रकार, आप इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव से सुरक्षित रहेंगे।
सूतक काल के दौरान क्या न करें?
सूतक काल के दौरान क्या न करें:
हालांकि सूतक काल का पालन नहीं किया जाएगा, फिर भी सूतक काल के दौरान निम्नलिखित गतिविधियों से बचना चाहिए:
1. सूतक काल के दौरान मंदिर बंद रहते हैं। भगवान की पूजा नहीं की जाती।
2. खाना बनाना, बाहर जाना, स्नान करना, दान देना और धार्मिक अनुष्ठान करना मना है।
3. गर्भवती महिलाओं को सूतक काल के दौरान घर से बाहर नहीं जाना चाहिए और तेज धार वाले वस्त्रों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
4. सूतक काल के दौरान सोना भी मना है।
सूतक काल के दौरान क्या करें?
सूतक काल के दौरान क्या करें:
सूतक काल के दौरान भगवान के नाम का जप करें। यदि आपने गुरु मंत्र लिया है, तो उसका जप करें। अन्यथा, अपने पसंदीदा देवता का नाम जपें। गर्भवती महिलाएं संतान गोपाल मंत्र या अन्य सुरक्षा मंत्र का जप कर सकती हैं।
सूतक काल समाप्त होने के बाद, पूजा स्थल और घर की सफाई करें। फिर स्नान करें और सूतक काल के दौरान पहने गए कपड़ों को धोकर बदलें। साफ कपड़े पहनें। देवता की पूजा करें और उन्हें भोग अर्पित करें। यदि आपने पहले से खाना तैयार किया है, तो उसमें तुलसी के पत्ते डालें। इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाएंगे।
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