सूरजपुर कोर्ट ने अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में यूपी सरकार की अपील खारिज की

सूरजपुर कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के बिसाहाड़ा में हुए अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की आरोपियों के खिलाफ केस वापस लेने की अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने सरकार के तर्कों को आधारहीन बताते हुए कहा कि केस वापस लेने का कोई ठोस कानूनी आधार नहीं है। इस फैसले से आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की प्रक्रिया जारी रहेगी, जो कि 10 साल पहले हुई इस घटना के बाद से चल रही है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और अदालत के निर्णय के पीछे के कारण।
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अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली
ग्रेटर नोएडा के बिसाहाड़ा में हुए चर्चित अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में सूरजपुर कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार की आरोपियों के खिलाफ केस वापस लेने की अपील को खारिज कर दिया। इस अपील के माध्यम से राज्य सरकार ने केस वापस लेने की अनुमति मांगी थी, लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया।

सुनवाई के दौरान, अदालत ने यूपी सरकार के तर्कों को कमजोर और बिना आधार के बताया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केस वापस लेने का कोई ठोस कानूनी आधार नहीं है। इस निर्णय से आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की प्रक्रिया जारी रखने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह फैसला उन प्रयासों को भी झटका देता है जो मामले को बंद करने के लिए किए जा रहे थे।

ज्ञात हो कि लगभग 10 साल पहले, दादरी के बिसाहाड़ा गांव में एक अफवाह के चलते भीड़ ने 50 वर्षीय मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। भीड़ का आरोप था कि अखलाक के परिवार ने बछड़े का मांस खाया है और उनके घर में गोमांस रखा है।

इस घटना की चर्चा पूरे देश में हुई थी और इसकी कड़ी आलोचना की गई थी। पुलिस ने इस मामले में 19 लोगों को आरोपी बनाया था, जिन पर हत्या, दंगा भड़काने और जान से मारने की धमकी देने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।

कानूनी प्रक्रिया के बीच, अक्टूबर 2025 में उत्तर प्रदेश सरकार ने अचानक आरोपियों के खिलाफ चल रहे मामलों को वापस लेने के लिए अदालत में आवेदन दिया था। इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई, जिसमें अभियोजन पक्ष ने केस वापस लेने का समर्थन किया, लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया।