सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा की याचिका पर सुनवाई, महाभियोग प्रक्रिया पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा की याचिका
सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेगा। जस्टिस वर्मा, जो दिल्ली हाई कोर्ट में भी कार्यरत रहे हैं, ने अपने सरकारी आवास से जले हुए नोटों के बंडल मिलने के आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष द्वारा गठित समिति को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाभियोग प्रक्रिया में गंभीर प्रक्रियागत खामियों की ओर इशारा किया। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सवाल उठाया कि संसद में इतने कानूनी विशेषज्ञ होने के बावजूद यह बुनियादी गलती कैसे हुई। पीठ ने लोकसभा अध्यक्ष के निर्णय पर भी सवाल उठाए और लोकसभा तथा राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी के पहले सप्ताह में होगी।
महाभियोग प्रक्रिया और समिति की गठन
लोकसभा अध्यक्ष ने 12 अगस्त को जजेज (इन्क्वायरी) एक्ट के तहत एक समिति का गठन किया, जो जस्टिस वर्मा के आवास से बेहिसाब नकदी मिलने की जांच कर रही है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और वरिष्ठ अधिवक्ता बी. वासुदेव आचार्य शामिल हैं। जस्टिस वर्मा का कहना है कि महाभियोग नोटिस दोनों सदनों में दिए गए थे, फिर भी राज्यसभा के सभापति से परामर्श किए बिना समिति का गठन करना असंवैधानिक है।
जज के बंगले पर आग और जले हुए नोट
14 मार्च की रात को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लग गई, जिसमें जली हुई नकदी मिली। तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए एक इन-हाउस समिति का गठन किया। समिति ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराते हुए उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की, जिसके बाद संसद में महाभियोग प्रक्रिया का प्रस्ताव रखा गया।
