सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर याचिका दायर

दिल्ली नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों को उठाने की अधिसूचना के बाद एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे आवारा कुत्तों को पकड़ें और उन्हें स्थायी आश्रय में स्थानांतरित करें। हालांकि, इस निर्णय की पशु कल्याण संगठनों ने आलोचना की है, जो इसे भारतीय कानून और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के खिलाफ मानते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर याचिका दायर

सुप्रीम कोर्ट में याचिका का मामला

एक याचिकाकर्ता ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक तात्कालिक याचिका प्रस्तुत की, जिसमें दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा शुक्रवार से आवारा कुत्तों को उठाने की अधिसूचना जारी करने के बाद त्वरित सुनवाई की मांग की गई। यह घटनाक्रम उस समय हुआ जब पीठ ने इस मामले में अपना अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा है। इस मुद्दे पर एक संबंधित याचिका पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी। जब याचिकाकर्ता ने इस मामले को उठाया, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे कल संबंधित पीठ के समक्ष उठाया जाना चाहिए। साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि निर्णय सुरक्षित रखा गया है, इसलिए वे इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते। 


सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

11 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे छह से आठ हफ्तों के भीतर सभी आवारा कुत्तों को पकड़ें, उनकी नसबंदी करें, उनका टीकाकरण करें और उन्हें स्थायी आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करें। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं और विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों में रेबीज के मामलों पर चिंता व्यक्त की। न्यायाधीशों ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि बच्चे आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने के डर के बिना स्वतंत्र रूप से घूम सकें। अदालत ने पाँच सूत्री निर्देश जारी किए, जिसमें दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम के अधिकारियों को सीसीटीवी निगरानी वाले आश्रय स्थल बनाने, छह हफ्तों के भीतर संवेदनशील क्षेत्रों से 5,000 आवारा कुत्तों को उठाने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि नसबंदी के बाद उनमें से किसी को भी वापस न छोड़ा जाए।


पशु कल्याण संगठनों की प्रतिक्रिया

हालांकि, इस निर्णय की प्रमुख पशु कल्याण संगठनों ने कड़ी आलोचना की है। विशेषज्ञों ने मीडिया चैनल को बताया कि कुत्तों को उनके क्षेत्रों से हटाने का नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, जिससे सड़कों पर अराजकता फैल सकती है, रेबीज नियंत्रण उपायों में कमी आ सकती है, और यह भारतीय कानून और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के खिलाफ हो सकता है।