सुप्रीम कोर्ट ने सांस्कृतिक और नस्ली भेदभाव पर केंद्र सरकार को चेताया

सुप्रीम कोर्ट ने देश में सांस्कृतिक और नस्ली भेदभाव की घटनाओं पर चिंता जताई है। न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर गंभीरता से कार्रवाई करने की अपील की है। एक याचिका के संदर्भ में, जिसमें पूर्वोत्तर के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने की मांग की गई थी, कोर्ट ने हाल ही में एक समाचार रिपोर्ट पर भी चिंता व्यक्त की, जिसमें केरल के छात्रों के साथ दुर्व्यवहार का उल्लेख था। जानें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आगे की कार्रवाई के बारे में।
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सुप्रीम कोर्ट ने सांस्कृतिक और नस्ली भेदभाव पर केंद्र सरकार को चेताया

सुप्रीम कोर्ट की चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि देश में सांस्कृतिक और नस्ली भेदभाव की घटनाएं उसे दुखी करती हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि हम सभी एक ही देश के नागरिक हैं और इस प्रकार के भेदभाव के खिलाफ केंद्र सरकार को गंभीर कदम उठाने चाहिए। यह टिप्पणी जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की बेंच द्वारा 2015 में दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान की गई।


इस याचिका में पूर्वोत्तर भारत के निवासियों को नस्ली हमलों और अपमान से सुरक्षा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की गई थी। इसके साथ ही, दिशा-निर्देश बनाने की भी अपील की गई थी।


केरल के छात्रों के मामले पर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने एक समाचार रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त की, जिसमें बताया गया था कि केरल के दो छात्रों को लाल किले के पास पुलिस और स्थानीय लोगों द्वारा पीटा गया और उनसे जबरन हिंदी बोलने के लिए कहा गया। इसके अलावा, उनके पारंपरिक कपड़ों का मजाक उड़ाया गया। न्यायालय ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता बताई।


याचिका की प्रगति

इस याचिका के संबंध में समय-समय पर कई आदेश जारी किए गए हैं। 1 मई 2023 को, अदालत ने एएसजी नटराज से मॉनिटरिंग कमिटी की कार्यवाही पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। यह कमिटी 14 दिसंबर 2016 के आदेश के तहत बनाई गई थी, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर के लोगों के साथ होने वाले नस्ली भेदभाव की शिकायतों की निगरानी और समाधान करना है।