सुप्रीम कोर्ट ने शनि शिंगनापुर मंदिर प्रबंधन पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के शनि शिंगनापुर मंदिर के प्रबंधन को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं। अदालत ने कहा कि ट्रस्ट ने प्रशासन के संबंध में इतना संदेह उत्पन्न कर दिया है कि मंदिर की सुरक्षा के लिए न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक हो गया है।
मामले की सुनवाई
महाराष्ट्र सरकार और मंदिर प्रबंधन ट्रस्ट के बीच चल रहे विवाद की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले और अहिल्यानगर कलेक्टर द्वारा जारी आदेश पर रोक लगा दी। यह मामला मंदिर के प्रशासन और वित्तीय नियंत्रण से संबंधित है।
सुरक्षा उपायों की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने इस तीर्थ स्थल के प्रशासन में तत्काल सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया। अदालत ने कहा कि ट्रस्ट के प्रबंधन पर उठाए गए सवालों के कारण मंदिर की रक्षा करना आवश्यक हो गया है।
मंदिर के कर्मचारियों की स्थिति
सुनवाई के दौरान, महाराष्ट्र सरकार ने अदालत को बताया कि मंदिर में 2,400 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं और उनके वेतन एवं अन्य खर्चों पर प्रति माह 2.5 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आता है। राज्य ने ट्रस्ट पर गंभीर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया है।
ट्रस्ट का बचाव
ट्रस्ट के वकील ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर का प्रबंधन लंबे समय से ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है और चैरिटी कमिश्नर पहले ही खातों की जांच कर चुके हैं।
मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणियाँ
भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने मंदिर के कर्मचारियों की संख्या पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2,400 कर्मचारियों की आवश्यकता क्या है। उन्होंने ट्रस्ट के सदस्यों की राजनीतिक पृष्ठभूमि को भी संदिग्ध बताया।
अगले कदम
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि मंदिर ट्रस्ट के नियम 12 दिसंबर को बनाए गए थे। उन्होंने गंभीर कदाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को धन वसूलने की आवश्यकता हो सकती है।
