सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को दी कड़ी चेतावनी, कैदी की रिहाई में देरी पर लगाया जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक गंभीर चेतावनी दी है। गाजियाबाद जेल में एक कैदी को जमानत के आदेश के बावजूद 28 दिनों तक रिहा नहीं किया गया। इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि कैदी को रिहा न करने के लिए 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि यह केवल एक लिपिकीय गलती नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता है।
आजादी का अधिकार
आजादी नहीं छीनी जा सकती
न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और एनके सिंह की पीठ ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को तकनीकी खामियों या लिपिकीय त्रुटियों के आधार पर नहीं छीना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि जमानत आदेश में अपराध और आरोप स्पष्ट थे, फिर भी एक उपधारा का उल्लेख न होने के कारण रिहाई में देरी हुई।
गंभीरता से लिया गया मामला
यह मामला बेहद गंभीर
जेल अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित हुए, जबकि यूपी के डीआईजी (जेल) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी दी। अदालत ने राज्य की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद के तर्क को भी खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और यह केवल एक लिपिकीय गलती नहीं, बल्कि एक सिस्टमिक विफलता को दर्शाता है। न्यायपालिका ने स्पष्ट रूप से कहा कि बेकार की तकनीकी त्रुटियों के आधार पर किसी की आजादी को नहीं रोका जा सकता।