सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें सभी 12 आरोपियों को रिहा किया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से अनुरोध किया कि सभी बरी आरोपियों को जेल में न भेजा जाए। कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम रोक लगाते हुए कहा कि जब तक निर्णय नहीं होता, तब तक बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक रहेगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा दिए गए एक निर्णय पर रोक लगा दी है, जिसमें मुंबई ट्रेन ब्लास्ट से जुड़े सभी 12 आरोपियों को रिहा किया गया था। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। आज, 24 जुलाई को, इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी। महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।


महाराष्ट्र की एंटी टेररिस्ट स्कॉड (एटीएस) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में पेश होकर कहा कि सरकार इस फैसले पर रोक चाहती है। पहले की सुनवाई में, चीफ जस्टिस गवई ने कहा था कि यदि सरकार चाहती है कि हम इस पर रोक लगाएं, तो यह एक असामान्य स्थिति होगी, क्योंकि सभी आरोपियों को बरी किया जा चुका है। आमतौर पर, बरी होने के बाद रोक नहीं लगाई जाती।


सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का विवरण

आज की सुनवाई में, सॉलिसिटर जनरल ने जस्टिस गवई से कहा कि वे नहीं चाहते कि सभी बरी आरोपियों को जेल भेजा जाए, क्योंकि इससे उनकी स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि मामले पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने कहा कि वे इस पर नोटिस जारी करेंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वे इस आदेश पर अपनी और जानकारी प्रस्तुत करना चाहते हैं।


मकोका ट्रायल से संबंधित इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामले का निर्णय नहीं होता, तब तक बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाती है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी प्रतिवादियों को रिहा किया गया है, इसलिए उन्हें वापस जेल भेजने का कोई सवाल नहीं उठता। हालांकि, कानून के दृष्टिकोण से, विवादित फैसले को किसी अन्य मामले में मिसाल नहीं माना जाएगा।