सुप्रीम कोर्ट ने बीटेक डिग्रीधारियों को जेई भर्ती में शामिल होने से रोका
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को मान्यता दी है.
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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की जूनियर इंजीनियर भर्ती में बीटेक डिग्री धारक शामिल नहीं हो सकते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार कर लिया है। इससे बीटेक डिग्री प्राप्त कर जेई भर्ती की तैयारी कर रहे हजारों छात्रों को बड़ा झटका लगा है। बीटेक डिग्रीधारी अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी जानकारी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि डिग्री और डिप्लोमा दो अलग-अलग योग्यताएं हैं। डिग्री को डिप्लोमा का उच्चतर संस्करण नहीं माना जा सकता। यह निर्णय उत्तर प्रदेश में जूनियर इंजीनियर पदों की बहाली के संदर्भ में दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि डिप्लोमा और डिग्री अलग-अलग शैक्षणिक योग्यताएं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बीटेक डिग्री धारकों की याचिका को खारिज कर दिया है, जो डिप्लोमा को डिग्री का उच्च संस्करण मानते थे। यह निर्णय जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ द्वारा दिया गया है।
बीटेक डिग्रीधारी अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी
आयोग ने जेई भर्ती के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की पात्रता अनिवार्य की थी। इस कारण बीटेक डिग्री वाले अभ्यर्थी आवेदन करने से वंचित रह गए और उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया था कि उच्च योग्यता होने के कारण उन्हें डिप्लोमा धारकों की श्रेणी में आवेदन करने का अवसर मिलना चाहिए।
याचिका में भर्ती नियम को असंवैधानिक बताया गया। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए आयोग के नियम को सही ठहराया। हाईकोर्ट ने 22 नवंबर 2019 के अपने निर्णय में कहा था कि जब पात्रता डिप्लोमा निर्धारित की गई है, तो डिग्री धारकों को पात्र नहीं माना जा सकता। हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से मना कर दिया था।
भर्तियों के लिए विभागों की जानकारी
लोक सेवा आयोग ने जूनियर इंजीनियर (मैकेनिकल) पदों पर भर्तियों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इस भर्ती प्रक्रिया के तहत सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई विभाग और भू-जल विभाग में जेई पदों को भरा जाना था। हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने के बाद बीटेक डिग्रीधारी सुप्रीम कोर्ट गए थे। अब शीर्ष कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के निर्णय को मान्यता दे दी है।
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