सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची पर चुनाव आयोग को निर्देश दिए

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को निर्देश दिया है कि वह बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान बाहर किए गए मतदाताओं की जानकारी 9 अक्टूबर तक प्रस्तुत करे। यह आदेश चुनाव आयोग द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद आया है, जो 6 नवंबर से शुरू होने वाला है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही थी, जिसमें मतदाता सूची की एसआईआर को चुनौती दी गई है। अदालत ने इस मामले की सुनवाई को 9 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया है।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण की टिप्पणी
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बताया कि अंतिम मतदाता सूची में 21 लाख से अधिक नए नाम शामिल हैं, जबकि 3.66 लाख नाम बाहर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि एसआईआर को जनवरी 2025 की मूल मतदाता सूची से किया जाना चाहिए। भूषण ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग यह कार्य केवल एक बटन दबाकर कर सकता है। इस पर न्यायमूर्ति कांत ने सवाल किया कि याचिकाकर्ता किसके लिए यह कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे लोग हैं जो अपने नाम हटाए जाने के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे।
मामले की अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर, 2025 को दोपहर 3:30 बजे से शाम 4 बजे तक निर्धारित की है, ताकि चुनाव आयोग एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा लगाए गए आरोपों का उत्तर दे सके। विस्तृत सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। भारत निर्वाचन आयोग ने 30 सितंबर, 2025 को बिहार में अंतिम मतदाता सूची जारी की, जिसमें लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल हैं। पिछली सुनवाई में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि वह मानता है कि निर्वाचन आयोग इस प्रक्रिया के दौरान कानून का पालन कर रहा है और किसी भी अवैधता की स्थिति में प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है।