सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर चुनाव आयोग से सवाल उठाए
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर चुनाव आयोग से गंभीर सवाल उठाए हैं। अदालत ने आयोग से अनुरोध किया कि वह आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को वैध दस्तावेजों के रूप में शामिल करने पर विचार करे। न्यायालय ने चुनाव आयोग के निर्णय पर चिंता जताई है, यह कहते हुए कि यह लोकतंत्र की नींव पर हमला कर सकता है। सुनवाई के दौरान आयोग ने मतदाता सूची की अखंडता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें इस महत्वपूर्ण मामले की पूरी जानकारी और आगामी सुनवाई के बारे में।
Jul 10, 2025, 16:26 IST
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सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चुनाव आयोग (ईसीआई) से गंभीर सवाल पूछे हैं। अदालत ने आयोग से अनुरोध किया है कि वह मतदाता गणना के लिए आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को वैध दस्तावेजों के रूप में शामिल करने पर विचार करे। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी, जिसमें कई याचिकाओं पर विचार किया जाएगा जो एसआईआर के समय और तरीके को चुनौती देती हैं। चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन अभी तक कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया गया है।
न्यायालय की चिंताएँ
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने चुनाव आयोग के उस निर्णय पर सवाल उठाया, जिसमें चुनाव से कुछ महीने पहले मतदाता सूची में संशोधन करने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने कहा कि यह कदम लोकतंत्र और मतदान की शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। न्यायमूर्ति धूलिया ने चेतावनी दी कि यदि बिहार में नागरिकता की जांच करनी है, तो यह पहले ही किया जाना चाहिए था, और अब यह समय पर नहीं हो रहा है। हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को खारिज कर दिया कि चुनाव आयोग को ऐसा संशोधन करने का अधिकार नहीं है। पीठ ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में संशोधन करना चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है, और यह भी बताया कि बिहार में ऐसा आखिरी बार 2003 में किया गया था।
चुनाव आयोग का बचाव
सुनवाई के दौरान, चुनाव आयोग ने एसआईआर का समर्थन करते हुए कहा कि यह आवश्यक है कि योग्य मतदाताओं को जोड़ा जाए और अपात्र मतदाताओं को हटाया जाए ताकि मतदाता सूची की अखंडता बनी रहे। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड नागरिकता का वैध प्रमाण नहीं है, और संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार केवल भारतीय नागरिक ही मतदान के लिए पात्र हैं। चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील द्विवेदी ने सवाल उठाया, "अगर चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची में संशोधन करने का अधिकार नहीं है, तो फिर यह अधिकार किसके पास है?"