सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड में सुरेंद्र कोली की बरी होने की अपीलें खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड में सुरेंद्र कोली को बरी करने के खिलाफ दायर 14 अपीलों को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय सही था और साक्ष्य कानून के अनुसार, बिना अभियुक्तों के बयान के की गई बरामदगी मान्य नहीं है। इस मामले में मोनिंदर सिंह पंढेर और कोली पर गंभीर आरोप लगे थे, लेकिन उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का महत्व।
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सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड में सुरेंद्र कोली की बरी होने की अपीलें खारिज की

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को 2006 के निठारी हत्याकांड से जुड़े मामले में सुरेंद्र कोली को बरी करने के खिलाफ दायर 14 अपीलों को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने स्पष्ट किया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा कोली को बरी करने का निर्णय सही था। मुख्य न्यायाधीश ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 का उल्लेख करते हुए कहा कि पीड़ितों की खोपड़ियां और अन्य सामान पुलिस के समक्ष कोली के बयान के बाद नहीं पाए गए थे।


साक्ष्य कानून पर टिप्पणी

पीठ ने यह भी कहा कि बिना अभियुक्तों के बयान के की गई कोई भी बरामदगी साक्ष्य कानून के तहत मान्य नहीं है। केवल उन बरामदियों को स्वीकार किया जा सकता है जो अभियुक्तों की पहुंच में हों, और यह परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने पिछले वर्ष सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार करने के लिए सहमति दी थी, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 16 अक्टूबर, 2023 के फैसले को चुनौती दी गई थी। इनमें से एक याचिका पीड़ितों में से एक के पिता द्वारा दायर की गई थी।


मामले का पृष्ठभूमि

मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके सहायक कोली पर उत्तर प्रदेश के निठारी में पड़ोसियों, विशेषकर बच्चों, के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप था। कोली को 28 सितंबर, 2010 को निचली अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया, यह कहते हुए कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को साबित करने में असफल रहा और इसे एक असफल जांच करार दिया।