सुप्रीम कोर्ट ने नारियल तेल के उपयोग पर 15 साल पुराना विवाद सुलझाया

नारियल तेल का उपयोग: खाना या बालों के लिए?
नारियल तेल के उपयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण विवाद का समाधान करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने एक 15 साल पुराने मामले का फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि नारियल तेल को छोटे पैकेट में पैक किया जाता है, तो इसे खाने के तेल की श्रेणी में रखा जाएगा। इस निर्णय के अनुसार, इस पर खाद्य तेलों पर लागू होने वाला कम कर लगाया जाएगा।
हालांकि, यदि नारियल तेल को छोटे बोतलों में पैक किया जाता है और उस पर हेयर ऑयल का लेबल होता है, तो इसे बालों के तेल के रूप में माना जाएगा, जिस पर अधिक कर लगेगा।
इस फैसले से एफएमसीजी कंपनियों जैसे मैरिको और बजाज कंज्यूमर को राहत मिली है। अब नारियल तेल बनाने वाली कंपनियां खाद्य तेल के लिए 5% जीएसटी दर का लाभ उठा सकेंगी, जबकि हेयर ऑयल के लिए यह दर 18% है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने टैक्स विभाग की अपील को खारिज करते हुए कहा कि छोटे पैकेट में बेचा जाने वाला शुद्ध नारियल तेल खाद्य तेल की श्रेणी में आएगा। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और अन्य न्यायाधीशों ने कहा कि इसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम की पहली अनुसूची के तहत वर्गीकृत किया जाएगा।
अदालत ने यह भी कहा कि पैकेजिंग के अनुसार ही कर लगाया जाएगा। यदि कंपनियां अपने उत्पाद को खाद्य तेल के रूप में ब्रांड करती हैं, तो उसी के अनुसार कर लिया जाएगा।
राजस्व विभाग ने तर्क दिया था कि शुद्ध नारियल तेल को हमेशा हेयर ऑयल के रूप में माना जाना चाहिए, लेकिन अदालत ने कहा कि इसे खाद्य तेल के रूप में भी वर्गीकृत किया जा सकता है।