सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की प्रचार सामग्री पर रोक हटाई

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा दिए गए उस अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें तमिलनाडु सरकार को सार्वजनिक योजनाओं की प्रचार सामग्री में 'स्टालिन विद यू' नाम और पूर्व मुख्यमंत्रियों की तस्वीरों के उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था। न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार की प्रथाएँ पूरे देश में सामान्य हैं और न्यायपालिका का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने अन्नाद्रमुक सांसद सी वी षणमुगम को केवल द्रमुक सरकार की प्रचार सामग्री को चुनिंदा रूप से चुनौती देने के लिए कड़ी फटकार लगाई।
राजनीतिक लड़ाई में अदालतों का उपयोग न करें
लाइव लॉ के अनुसार, अदालत ने कहा कि जब विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम पर योजनाएँ चलाई जाती हैं, तो याचिकाकर्ता की केवल एक नेता को निशाना बनाने की बेचैनी को समझना मुश्किल है। अदालत ने आगे चेतावनी दी कि राजनीतिक संघर्षों के लिए अदालतों का उपयोग न किया जाए। तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने स्पष्ट किया कि 'स्टालिन विद यू' कोई स्वतंत्र कल्याणकारी योजना नहीं है, बल्कि यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो नागरिकों को एक ही स्थान पर कई सरकारी सेवाओं का उपयोग करने की सुविधा देता है।
कानूनी स्थिति स्पष्ट
उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी योजना या मंच का नाम राजनीतिक नेताओं के नाम पर रखने पर कोई कानूनी रोक नहीं है, और सर्वोच्च न्यायालय का कोई भी निर्णय उनकी तस्वीरों के उपयोग पर रोक नहीं लगाता है। अदालत ने तमिलनाडु सरकार के इस तर्क से सहमति जताई कि कई राज्य सरकारें सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों में राजनीतिक हस्तियों के नाम और तस्वीरों का उपयोग करती हैं।