सुप्रीम कोर्ट ने तमिल ईलम के 'प्रधानमंत्री' की याचिका को किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया, जिसने तमिल ईलम की अंतरराष्ट्रीय सरकार का 'प्रधानमंत्री' होने का दावा किया था। याचिका में लिट्टे को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की गई थी। न्यायालय ने याचिकाकर्ता के विदेशी नागरिक होने के आधार पर जानकारी देने से रोकने के मुद्दे पर भी विचार किया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और न्यायालय के निर्णय के पीछे के तर्क।
Oct 15, 2025, 18:46 IST
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सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
बुधवार को, सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत याचिका पर विचार करने से मना कर दिया, जिसने तमिल ईलम की अंतरराष्ट्रीय सरकार का 'प्रधानमंत्री' होने का दावा किया था। इस याचिका में लिट्टे को गैरकानूनी घोषित करने से संबंधित मामले में सुनवाई की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिका पर विचार करने में अनिच्छा दिखाई, जिसके बाद याचिकाकर्ता विसुवनाथन रुद्रकुमारन के वकील ने याचिका वापस ले ली। रुद्रकुमारन का जन्म श्रीलंका में हुआ था और वह वर्तमान में अमेरिका में निवास कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था।
लिट्टे के खिलाफ कार्रवाई
लिट्टे को गैरकानूनी संगठन के रूप में मान्यता देने के लिए न्यायाधिकरण का गठन जून 2024 में किया गया था, जो कि गैरकानूनी गतिविधियाँ अधिनियम, 1967 के तहत है। रुद्रकुमारन ने उच्च न्यायालय में न्यायाधिकरण के 11 सितंबर, 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें लिट्टे से संबंधित कार्यवाही में सुनवाई की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान, रुद्रकुमारन के वकील ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता निर्वासित तमिल सरकार का प्रतिनिधि प्रधानमंत्री है। उनके वकील ने यह भी कहा कि क्या किसी संबंधित पक्ष, जिसके पास न्यायाधिकरण को महत्वपूर्ण जानकारी देने का अधिकार है, को केवल इस आधार पर जानकारी देने से रोका जाना चाहिए कि वह एक विदेशी नागरिक है।
उच्च न्यायालय का निष्कर्ष
पीठ ने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय ने यह पाया है कि याचिकाकर्ता लिट्टे का सदस्य नहीं है। वकील ने यह तर्क दिया कि लिट्टे को गैरकानूनी संगठन घोषित करने वाली अधिसूचना में कहा गया है कि श्रीलंका में तमिलों के लिए एक अलग मातृभूमि, तमिल ईलम की विचारधारा गैरकानूनी है।