सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया, बंद खातों का धन मालिकों तक पहुंचाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण कदम

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें 3.5 लाख करोड़ रुपये की अघोषित वित्तीय संपत्तियों की पहचान की गई है। इनमें निष्क्रिय बैंक खाते, अघोषित लाभांश, भविष्य निधि और बीमा राशि शामिल हैं। कोर्ट ने इन संपत्तियों को उनके असली मालिकों को लौटाने के लिए एक ठोस कानूनी ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि केंद्रीकृत व्यवस्था की कमी से अनुच्छेद 14, 19(1)(a), 21 और 300A का उल्लंघन हो रहा है, जिससे गरीब और बुजुर्ग नागरिक अपनी संपत्ति से वंचित हो रहे हैं।
चार हफ्ते में केंद्र से जवाब मांगा गया
सुप्रीम कोर्ट ने सभी वित्तीय संपत्तियों की सूची के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल बनाने की मांग की है। इस संबंध में केंद्र को नोटिस भेजा गया है और चार हफ्ते के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच द्वारा की गई है।
याचिका में आरबीआई, आईआरडीएआई, राष्ट्रीय बचत संस्थान और पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा विनियमित संस्थाओं में रखी गई सभी वित्तीय परिसंपत्तियों की सूची तक पहुंचने के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल की आवश्यकता बताई गई है।
दिल्ली हाई कोर्ट का रुख
याचिका में यह भी बताया गया है कि बिखरे हुए खातों और नामांकन विवरणों की कमी के कारण करोड़ों नागरिकों का धन पहुंच से बाहर है। जनवरी में याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था, जहां कोर्ट ने इस मुद्दे की गंभीरता को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ता को संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने की सलाह दी गई थी। इसके बाद गोयल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बताया कि बैंकों, बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंड्स और पेंशन योजनाओं में नागरिकों का बड़ा धन फंसा हुआ है। वरिष्ठ वकील मुक्ता गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने समस्या की गंभीरता को माना था, लेकिन अधिकारियों को नीति पर विचार करने के लिए छोड़ दिया गया था। हालांकि, अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है और लाखों लोगों का धन अभी भी फंसा हुआ है.