सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक मामलों में देरी पर जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक मामलों में 16 साल से अधिक की देरी पर चिंता व्यक्त की है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर राष्ट्रीय राजधानी इस तरह की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकती, तो और कौन करेगा? अदालत ने सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को लंबित मामलों का डेटा हर हफ्ते उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। इस मामले में याचिकाकर्ता स्वयं पीड़ित हैं और उन्होंने अदालत में कहा कि 2013 तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और एसिड अटैक के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ।
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सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक मामलों में देरी पर जताई चिंता

एसिड अटैक मामलों में देरी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक से संबंधित मामलों में 16 साल से अधिक समय की देरी पर आश्चर्य व्यक्त किया है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह अपराध 2009 का है और अभी तक ट्रायल पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर राष्ट्रीय राजधानी इस तरह की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकती, तो और कौन करेगा? यह सिस्टम के लिए शर्मनाक है। कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वे अपने क्षेत्राधिकार में लंबित एसिड अटैक मामलों का डेटा हर हफ्ते उपलब्ध कराएं। याचिकाकर्ता, जो स्वयं पीड़ित हैं, ने अदालत में कहा कि 2013 तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। वर्तमान में ट्रायल रोहिणी कोर्ट में चल रहा है और अब अंतिम चरण में है।


दिव्यांगों के अधिकारों पर चर्चा

अदालत में यह भी मामला उठाया गया कि एसिड केवल फेंका नहीं जाता, बल्कि पीड़ित को जबरन पिलाया भी जाता है। ऐसे पीड़ितों को गंभीर अक्षमता का सामना करना पड़ता है, और कई लोग चलने में असमर्थ होते हैं, जबकि कुछ आर्टिफिशियल फीडिंग ट्यूब पर निर्भर रहते हैं। वर्तमान याचिका ऐसे ही पीड़ितों से संबंधित है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसे मामलों को दिव्यांग अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत 'दिव्यांगता' माना जाना चाहिए।


एसिड पिलाने के मामलों पर सीजेआई की टिप्पणी

मलिक ने उन पीड़िताओं का उल्लेख किया, जिन्हें एसिड पिलाया गया है। वे गंभीर दिव्यांगता का शिकार हैं और कृत्रिम फीडिंग ट्यूब के सहारे जीवित हैं। सीजेआई ने कहा कि उन्होंने एसिड फेंकने के मामलों के बारे में सुना है, लेकिन एसिड पिलाने के मामलों के बारे में नहीं। उन्होंने कहा कि इस अपराध की गंभीरता को देखते हुए, ट्रायल विशेष कोर्ट में होना चाहिए और आरोपियों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए।


देशभर में लंबित एसिड अटैक केस

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, विभिन्न अदालतों में एसिड अटैक से जुड़े 844 मामले लंबित हैं। 2025 में जारी रिपोर्ट में ये आंकड़े वर्ष 2023 तक के हैं। एनसीआरबी के अनुसार, भारत में 2021 के बाद से एसिड अटैक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 250 से 300 एसिड अटैक के मामले दर्ज होते हैं, जबकि असल संख्या 1,000 से अधिक हो सकती है। कई मामले डर, सामाजिक दबाव और कानूनी झंझटों के कारण रिपोर्ट नहीं किए जाते।