सुप्रीम कोर्ट ने उदयस्थमन पूजा को दी मंजूरी, सदियों पुरानी परंपरा को बनाए रखने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवायुर श्रीकृष्ण मंदिर में होने वाली उदयस्थमन पूजा को 1 दिसंबर को आयोजित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस पूजा में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकता, जिससे सदियों पुरानी परंपरा को बनाए रखा जा सके। यह पूजा सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलती है और इसमें कई अनुष्ठान शामिल होते हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि परंपरा में बदलाव अस्वीकार्य है। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की कहानी और इसके धार्मिक महत्व के बारे में।
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सुप्रीम कोर्ट ने उदयस्थमन पूजा को दी मंजूरी, सदियों पुरानी परंपरा को बनाए रखने का आदेश

गुरुवायुर श्रीकृष्ण मंदिर में उदयस्थमन पूजा का संकट समाप्त

सुप्रीम कोर्ट ने उदयस्थमन पूजा को दी मंजूरी, सदियों पुरानी परंपरा को बनाए रखने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट और गुरुवायुर श्रीकृष्ण मंदिर

केरल के प्रसिद्ध गुरुवायुर श्रीकृष्ण मंदिर में एकादशी के अवसर पर होने वाली उदयस्थमन पूजा के संबंध में उत्पन्न संकट अब समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि यह पूजा परंपरा के अनुसार 1 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस पूजा में किसी भी प्रकार का बदलाव या हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

गुरुवायुर एकादशी पर उदयस्थमन पूजा एक विशेष अनुष्ठान है, जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलता है और इसमें 18 पूजाओं, होम, अभिषेक और अन्य अनुष्ठानों की एक निरंतर श्रृंखला शामिल होती है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई शामिल थे, ने पाया कि यह अनुष्ठान 1972 से निरंतर किया जा रहा है। कोर्ट ने पक्षकारों से अपनी दलीलें पूरी करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई मार्च 2026 में निर्धारित की।

सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ना अनुचित

पिछले वर्ष, सुप्रीम कोर्ट ने केरल के गुरुवायुर स्थित श्री कृष्ण मंदिर के देवस्वम प्रशासन को भीड़ प्रबंधन के आधार पर उदयस्थमन पूजा न करने के निर्णय पर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ना अनुचित है। इसके बाद गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 1 दिसंबर को परंपरा के अनुसार उदयस्थमन पूजा करने का आदेश दिया।

1972 से निरंतर हो रही उदयस्थमन पूजा

यह मामला पीसी हैरी और अन्य पुजारी अधिकार रखने वाले परिवारों द्वारा दायर याचिका पर आधारित है। याचिका में कहा गया है कि एकादशी मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है और उदयस्थमन पूजा 1972 से निरंतर की जा रही है। उनका दावा है कि यह परंपरा इससे भी पहले से चली आ रही है।

आदि शंकराचार्य ने की थी अनुष्ठानों की व्यवस्था

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आदि शंकराचार्य ने इन अनुष्ठानों की व्यवस्था की थी और इनमें किसी भी प्रकार का विचलन दैवीय शक्ति या चैतन्य को प्रभावित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को मान्यता दी और स्पष्ट किया कि परंपरागत पूजा पद्धति में बदलाव अस्वीकार्य है। बताया जा रहा है कि सुनवाई के दौरान देवस्वम प्रशासन के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।