सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों पर नई खनन लीज पर प्रतिबंध की सिफारिश की

सुप्रीम कोर्ट की समिति ने अरावली पहाड़ियों में नई खनन लीजों पर पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश की है। यह निर्णय राजस्थान के 20 जिलों में खनन गतिविधियों को प्रभावित करेगा। समिति ने पर्यावरण मानकों के पालन के लिए पहले से जारी लीजों का निरीक्षण करने की भी सिफारिश की है। यदि सुप्रीम कोर्ट इस सिफारिश को मानता है, तो लगभग 300 नई खानें चालू हो सकती हैं। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में और क्या प्रभाव पड़ेगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों पर नई खनन लीज पर प्रतिबंध की सिफारिश की

अरावली पहाड़ियों की परिभाषा पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

जयपुर। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने अरावली पहाड़ियों और श्रृंखलाओं में नई खनन लीजों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक आवश्यकताओं के लिए नई लीजें दी जाने की अनुमति होगी। पहले से जारी लीजों का पर्यावरण मानकों के अनुसार निरीक्षण करने के लिए विशेषज्ञ टीमों का गठन किया जाएगा। अदालत ने बुधवार को इस मामले में निर्णय सुरक्षित रखा है, जो राजस्थान के लगभग 20 जिलों में खनन गतिविधियों की सीमाओं को निर्धारित करेगा।


सुप्रीम कोर्ट की पीठ का आदेश

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायाधीश विनोद चंद्रन और न्यायाधीश एन. वी. अंजारिया की पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा। 9 मई 2024 को अरावली पहाड़ियों की एक समान परिभाषा तैयार करने के लिए समिति का गठन किया गया था। समिति की रिपोर्ट के आधार पर अरावली का संरक्षण और नियमन किया जाएगा। इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी, राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा, और खनन पट्टा धारक संघों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और ए. एस. नाडकर्णी उपस्थित रहे।


क्रिटिकल खनन के लिए संभावित अनुमति

अरावली में क्रिटिकल मिनरल खनन के लिए 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों पर खनन की अनुमति मिल सकती है। राज्य में इन पहाड़ियों में कई महत्वपूर्ण खनिज मौजूद हैं, जिनके लिए खानें दी जा सकती हैं।


परिभाषा का वैज्ञानिक आधार

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में अरावली पहाड़ियों की पहचान और सीमांकन के लिए केवल ऊंचाई या ढाल के आधार पर एक समान परिभाषा तय करना वैज्ञानिक दृष्टि से उचित नहीं है, क्योंकि अरावली क्षेत्र का भौगोलिक स्वरूप अत्यंत विविध है।


37 जिलों पर प्रभाव

रिपोर्ट के अनुसार, अरावली क्षेत्र में राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के कुल 37 जिले शामिल हैं, जिनमें से 20 जिले राजस्थान के हैं। इनमें अलवर, जयपुर, सीकर, झुंझुनूं, अजमेर, भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, पाली, सिरोही और डूंगरपुर प्रमुख हैं।


राजस्थान पर संभावित प्रभाव

यदि सुप्रीम कोर्ट समिति की सिफारिश को मानता है, तो राजस्थान को बड़ी राहत मिलेगी। इस फैसले के बाद लगभग 300 नई खानें चालू हो सकती हैं। अरावली में आने वाले 20 जिलों में 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों पर 2005 से खान आवंटन बंद है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 9 मई 2024 के फैसले के बाद इन खानों को चालू नहीं किया जा रहा। यदि यह फैसला समिति की सिफारिश पर आया, तो लगभग 300 नई खानें तुरंत शुरू हो सकेंगी।


राजस्थान मॉडल की व्यवहार्यता

समिति के अनुसार, स्थानीय सतह से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले भू-भागों को अरावली पहाड़ी मानने का राजस्थान मॉडल व्यावहारिक और वैज्ञानिक दृष्टि से उचित है। इस मॉडल का समर्थन गुजरात और दिल्ली ने किया है, जबकि हरियाणा ने इस पर आपत्ति जताई है।