सुप्रीम कोर्ट ने अमृतपाल सिंह की नज़रबंदी चुनौती पर सुनवाई से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने कट्टरपंथी उपदेशक और खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत अपनी नज़रबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से मना कर दिया। यह मामला न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुआ। न्यायमूर्ति कुमार ने प्रारंभ में कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी याचिका पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर करनी चाहिए। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह अभी इस याचिका पर विचार नहीं करना चाहती।
वकील की दलीलें
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय से समय सीमा के भीतर मामले का निपटारा करने का अनुरोध किया जा सकता है। सिंह के वकील ने बताया कि शीर्ष अदालत पहले ही लद्दाखी शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की एनएसए के तहत नज़रबंदी से संबंधित याचिका पर विचार कर चुकी है। हालांकि, पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्हें एक राज्य से दूसरे राज्य में निर्वासित किया गया था। वकील को उच्च न्यायालय में जाने के लिए कहा गया और आश्वासन दिया गया कि उच्च न्यायालय उनकी याचिका पर निर्णय सुनाने के लिए समय तय करेगा।
अमृतपाल सिंह की स्थिति
वकील ने यह भी बताया कि उनके मुवक्किल लगभग दो वर्षों से नज़रबंदी में हैं और नज़रबंदी का आधार एक प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें आरोपपत्र दायर किया जा चुका है और मुकदमा शुरू हो चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि फिर नज़रबंदी का क्या औचित्य है? पीठ ने कहा कि वह जनवरी 2026 या फरवरी 2026 के पहले सप्ताह में मामले की सुनवाई कर सकती है। इसके बाद, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से सिंह की याचिका पर छह सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया। अमृतपाल ने जेल में रहते हुए खडूर साहिब से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव जीता था और वर्तमान में वह असम के डिब्रूगढ़ जिले की एक जेल में बंद हैं।
