सुप्रीम कोर्ट की नई SOP: जल्द न्याय के लिए समय-सीमा निर्धारित

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। इस SOP में वकीलों के लिए दलीलें और लिखित प्रस्तुतियाँ पेश करने की समय-सीमा निर्धारित की गई है। यह कदम न्याय वितरण की प्रक्रिया को तेज करने के उद्देश्य से है। जानें इस नई SOP में क्या-क्या शामिल है और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की स्थिति क्या है।
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सुप्रीम कोर्ट की नई SOP: जल्द न्याय के लिए समय-सीमा निर्धारित

सुप्रीम कोर्ट की नई मानक संचालन प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट की नई SOP: जल्द न्याय के लिए समय-सीमा निर्धारित

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। इस SOP में वकीलों के लिए दलीलें और लिखित प्रस्तुतियाँ पेश करने की समय-सीमा निर्धारित की गई है। सर्वोच्च न्यायालय का यह कदम न्याय वितरण की प्रक्रिया को तेज करने के उद्देश्य से है।

इस संबंध में चीफ जस्टिस सूर्यकांत और अन्य न्यायाधीशों ने एक सर्कुलर जारी किया है। यह SOP तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है, जिसमें कहा गया है कि वरिष्ठ अधिवक्ता और अन्य वकील, जो मौखिक बहस में भाग लेंगे, उन्हें सुनवाई से कम से कम एक दिन पहले अपनी दलीलें प्रस्तुत करनी होंगी।

नई SOP की विशेषताएँ

यह समय-सीमा एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) द्वारा ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्रस्तुत की जाएगी। SOP में यह भी उल्लेख किया गया है कि वकील, अपने एओआर या नामित नोडल वकील के माध्यम से, सुनवाई की तारीख से तीन दिन पहले दूसरे पक्ष को एक प्रति देने के बाद संक्षिप्त नोट या लिखित प्रस्तुति दाखिल करेंगे, जो कि पांच पृष्ठों से अधिक नहीं होनी चाहिए।

समय-सीमा का पालन अनिवार्य

सुप्रीम कोर्ट के चार रजिस्ट्रार द्वारा हस्ताक्षरित इस परिपत्र में सभी वकीलों को निर्धारित समय-सीमा का पालन करने के लिए कहा गया है। सर्वोच्च न्यायालय लगातार त्वरित न्याय के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। हाल ही में, कोर्ट ने कई मामलों में त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या

सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों पर मामलों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। देशभर में 5.49 करोड़ मामले लंबित हैं। इस बढ़ती संख्या के कारण न्यायिक देरी की समस्या उत्पन्न हो रही है। विशेष रूप से, सुप्रीम कोर्ट में 90,000 से अधिक मामले लंबित हैं।