सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: पिता से रिश्ते की अनिच्छा पर बेटी को नहीं मिलेगा संपत्ति का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि कोई बेटी अपने पिता के साथ संबंध नहीं रखना चाहती है, तो उसे पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा। इस मामले में पति ने तलाक की याचिका दायर की थी, और कोर्ट ने बेटी के अधिकारों पर भी चर्चा की। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि मां चाहती है, तो वह अपनी बेटी की आर्थिक सहायता कर सकती है। इस फैसले ने कई कानूनी पहलुओं को उजागर किया है, जो बेटियों के अधिकारों से संबंधित हैं।
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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: पिता से रिश्ते की अनिच्छा पर बेटी को नहीं मिलेगा संपत्ति का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: पिता से रिश्ते की अनिच्छा पर बेटी को नहीं मिलेगा संपत्ति का अधिकार


यदि कोई बेटी अपने पिता के साथ संबंध नहीं रखना चाहती, तो उसे पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाक के मामले में सुनवाई के दौरान यह निर्णय लिया।


मामले का विवरण

इस मामले में पति ने अपनी वैवाहिक अधिकारों को लेकर याचिका दायर की थी, जिसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। इसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट में तलाक की याचिका लगाई। मध्यस्थता के प्रयासों के बावजूद, बेटी ने अपने पिता से संबंध बनाने से इनकार कर दिया।


बेटी के अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने कहा कि 20 वर्षीय बेटी अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। यदि वह पिता से संबंध नहीं रखना चाहती, तो उसे पिता से किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता की मांग करने का अधिकार नहीं है।


पति को गुजारा भत्ता देना होगा

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि पत्नी के पास आर्थिक संसाधनों की कमी है और वह अपने भाई के साथ रह रही है। इसलिए, पति को पत्नी के लिए स्थायी गुजारा भत्ता देना होगा। वर्तमान में, पति को हर महीने 8000 रुपये गुजारा भत्ता देना होगा या वह एकमुश्त 10 लाख रुपये भी दे सकता है।


मां का समर्थन

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि मां चाहती है, तो वह अपनी बेटी की सहायता कर सकती है। यदि वह पति से मिलने वाले पैसे को अपनी बेटी को देती है, तो यह संभव है।


बेटियों के अधिकारों पर चर्चा

इस मामले पर चर्चा करते हुए, एडवोकेट सचिन नायक ने बताया कि बेटियां अपने फैसले लेने में स्वतंत्र होती हैं। भारतीय कानून के अनुसार, पिता अपनी बेटी से संबंध नहीं तोड़ सकता। यदि पिता मौखिक रूप से संबंध खत्म करने की बात करता है, तो भी बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार बना रहता है।


पैतृक संपत्ति के अधिकार

पैतृक संपत्ति वह होती है जो दादा-परदादा से मिली हो। यदि संपत्ति में बंटवारा होता है, तो वह पैतृक संपत्ति नहीं रह जाती। हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार, बेटियों को पिता की संपत्ति पर समान अधिकार होता है।