सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकारों पर नया दृष्टिकोण

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकारों को लेकर नया दृष्टिकोण स्थापित किया गया है। यदि बेटियां अपने पिता के खिलाफ हैं और उनके साथ नहीं रहना चाहतीं, तो उन्हें संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा। इस फैसले ने कई कानूनी पहलुओं को चुनौती दी है और यह स्पष्ट किया है कि रिश्तों में अनबन होने पर संपत्ति से खर्च मांगने का अधिकार नहीं होता। जानें इस फैसले के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव।
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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकारों पर नया दृष्टिकोण

पिता और बेटी के बीच संपत्ति विवाद

संपत्ति के विवाद अक्सर पिता और बेटे के बीच होते हैं, लेकिन कभी-कभी यह स्थिति पिता और बेटी के बीच भी उत्पन्न हो जाती है। ऐसे मामलों में विवाद इतना गंभीर हो सकता है कि मामला अदालत तक पहुंच जाता है।


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकारों को लेकर एक नई स्थिति स्थापित की गई है। इस फैसले में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि बेटियां अपने पिता के खिलाफ हैं और उनके साथ नहीं रहना चाहतीं, तो उन्हें संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा।


पढ़ाई और विवाह के लिए खर्च की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में यह भी कहा कि यदि एक लड़की की उम्र लगभग 20 वर्ष है और वह अपने पिता से कोई संबंध नहीं रखना चाहती, तो वह अपनी पढ़ाई और विवाह के लिए पिता की संपत्ति से कोई खर्च नहीं मांग सकती। अदालत ने यह निर्णय दिया कि रिश्तों में अनबन होने पर किसी को संपत्ति से खर्च मांगने का अधिकार नहीं होता।


पिता की संपत्ति पर अधिकार

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि बेटी अपने पिता से संबंध नहीं रखना चाहती है, तो उसे पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं मिलेगा। इस मामले में माता-पिता का तलाक हो चुका है, और याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी से अलग होने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।


मां के पास राशि का अधिकार

कोर्ट ने यह भी कहा कि पति अपनी पत्नी को एकमुश्त 10 लाख रुपये दे सकता है, और यदि मां अपनी बेटी की सहायता करती है, तो वह राशि मां के पास ही रहेगी। इसका मतलब है कि पत्नी को मिलने वाली राशि का किसी और को हक नहीं होगा।


मामले का इतिहास

यह मामला पहले जिला अदालत में गया था, जहां पति के पक्ष में फैसला आया। इसके बाद पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन वहां तलाक की अर्जी खारिज कर दी गई। अंततः यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां अब अंतिम निर्णय सुनाया गया।


बेटियों के संपत्ति अधिकारों में बदलाव

भारत में 1965 का एक कानून है, जो संपत्ति के बंटवारे से संबंधित है। 2005 में इस कानून में संशोधन किया गया, जिससे बेटों और बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार मिला। पहले विवाहित बेटियों को संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता था, लेकिन इस संशोधन के बाद उन्हें यह अधिकार प्राप्त हुआ।