सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: भ्रष्टाचार के मामलों में केवल धन की बरामदगी से नहीं होगा दोषी करार

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में केवल धन की बरामदगी से किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि पूरी प्रक्रिया, जिसमें धन की मांग, स्वीकृति और उसकी बरामदगी शामिल है, को साबित करना आवश्यक है। इस निर्णय के तहत एक सरकारी कर्मचारी को बरी कर दिया गया, जिस पर रिश्वत मांगने का आरोप था। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पीछे की वजहें।
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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: भ्रष्टाचार के मामलों में केवल धन की बरामदगी से नहीं होगा दोषी करार

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय


सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए केवल धन की बरामदगी पर्याप्त नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि पूरी प्रक्रिया, जिसमें धन की मांग, स्वीकृति और उसकी बरामदगी शामिल है, को साबित करना आवश्यक है।


इस निर्णय के तहत, एक सरकारी कर्मचारी को बरी कर दिया गया, जिस पर एक शिक्षक से जाति प्रमाणपत्र के लिए 1,500 रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप था। अदालत ने पाया कि रिश्वत की मांग का कोई ठोस प्रमाण नहीं था, भले ही धन की बरामदगी और स्वीकृति का सबूत मौजूद था।


इस मामले में, उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की थी कि केवल पैसे का लेन-देन होना यह साबित नहीं करता कि यह किसी मांग के परिणामस्वरूप हुआ। कानून के अनुसार, दोषसिद्धि के लिए मांग, स्वीकृति और बरामदगी की पूरी श्रृंखला स्थापित होनी चाहिए।


आरोपी पर आरोप था कि उसने एक शिक्षक से जाति प्रमाणपत्र की वैधता रिपोर्ट के लिए रिश्वत मांगी थी। एक जाल बिछाया गया और आरोपी से रिश्वत की राशि बरामद की गई। आरोपी ने दावा किया कि यह राशि एक निजी उधारी की वापसी थी। निचली अदालत ने उसे दोषी ठहराया, लेकिन उच्च न्यायालय ने शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता पर संदेह करते हुए उसे बरी कर दिया।


सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को अपने फैसले में कहा कि जब तक अभियोजन पक्ष मांग से लेकर स्वीकृति तक की पूरी श्रृंखला सिद्ध नहीं करता, तब तक केवल धन की बरामदगी से अभियुक्त को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।


अदालत ने पहले भी कहा था कि भ्रष्टाचार रोकने वाले कानून की धारा-20 के तहत अपराध का अनुमान तभी लगाया जाएगा जब अवैध रिश्वत की मांग और उसे स्वीकार करने का सबूत हो।