सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: टीईटी पास करना होगा अनिवार्य

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दिया है, लेकिन यह आदेश अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू नहीं होगा। जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में पाँच साल से कम समय बचा है, उन्हें परीक्षा पास करने की आवश्यकता नहीं है। वहीं, पुराने शिक्षकों को दो साल का समय दिया गया है। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के सभी पहलुओं के बारे में।
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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: टीईटी पास करना होगा अनिवार्य

टीईटी पास करना होगा सभी शिक्षकों के लिए

सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को उन सभी शिक्षकों के लिए पास करना अनिवार्य होगा जो नियुक्ति या पदोन्नति की इच्छा रखते हैं। हालांकि, यह आदेश अल्पसंख्यक दर्जे वाले शैक्षणिक संस्थानों पर लागू नहीं होगा। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति से पहले पाँच साल से कम का समय बचा है, उन्हें इस परीक्षा को पास करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन यदि वे पदोन्नति की इच्छा रखते हैं, तो उन्हें टीईटी उत्तीर्ण करना होगा।


पुराने शिक्षकों के लिए समय सीमा

पुराने शिक्षकों के लिए दो साल का समय

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को, जिनकी सेवा अवधि पाँच साल से अधिक बची है, उन्हें दो साल के भीतर टीईटी पास करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। ऐसे शिक्षकों को केवल स्थायी लाभ ही मिलेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त शिक्षण संस्थानों को राहत देते हुए कहा कि यह आदेश फिलहाल उन पर लागू नहीं होगा। अदालत ने यह भी कहा कि आरटीई अधिनियम का अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू होना एक कानूनी प्रश्न है, जिसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठ के पास लंबित है। जब तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं होता, तब तक अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य नहीं होगा।