सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: कोविड-19 में जान गंवाने वाले डॉक्टरों को मिलेगा मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान जान गंवाने वाले निजी चिकित्सकों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। न्यायालय ने कहा कि यदि हम इन डॉक्टरों के प्रति समर्थन नहीं दिखाते हैं, तो देश को इसका पछतावा होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि उन निजी डॉक्टरों को, जिन्होंने इस कठिन समय में अपने क्लीनिक खोले और इलाज करते हुए अपनी जान गंवाई, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGKP) के तहत 50 लाख रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए।
इस मामले की सुनवाई पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ ने की। पीठ ने सरकार के उस निर्णय की आलोचना की, जिसमें कहा गया था कि यह लाभ केवल उन्हीं डॉक्टरों को मिलेगा जिन्हें कोविड-19 की ड्यूटी के लिए औपचारिक रूप से नियुक्त किया गया था।
विधवाओं की याचिकाओं पर सुनवाई
कोर्ट ने उन पांच डॉक्टरों की विधवाओं की याचिका पर सुनवाई की, जिनके पतियों की कोविड-19 के दौरान मृत्यु हो गई थी। उन्हें इस आधार पर मुआवजा देने से इनकार कर दिया गया था कि उन्हें औपचारिक रूप से कोविड ड्यूटी के लिए नियुक्त नहीं किया गया था। मार्च 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार के इस रुख को बरकरार रखा था।
यह योजना 28 मार्च, 2020 को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के तहत शुरू की गई थी, जिसमें कोविड के दौरान जान गंवाने वालों को बीमा कवरेज दिया गया था।
डॉक्टरों की सेवाओं की सराहना
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “यदि डॉक्टरों ने कोविड के दौरान अपने क्लीनिक खोले, तो वे बाल काटने के लिए नहीं थे। हमें अपने डॉक्टरों पर गर्व है। सैकड़ों डॉक्टर इस महामारी में अपनी जान गंवा चुके हैं। हमारा देश एक ऐसा महान देश है, जहां डॉक्टर फ्रंटलाइन वॉरियर्स के रूप में आगे आए और अपनी जान और स्वास्थ्य को जोखिम में डालकर सेवाएं दीं।” पीठ ने यह भी कहा कि यह कहना आसान है कि वे घर पर रह सकते थे, लेकिन कोविड के दौरान हर उस व्यक्ति की सेवाएं ली जा रही थीं, जो मदद कर सकता था।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मान लेना गलत है कि सभी निजी डॉक्टर केवल लाभ के लिए काम कर रहे थे। कोविड के समय अस्पतालों की कमी थी और डॉक्टरों की पहुंच भी सीमित थी। जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि उन्हें याद है कि जब उन्होंने अपने बेटे को अस्पताल ले जाया, तो उन्होंने देखा कि एक शव को बाहर ले जाया जा रहा था। यह स्थिति बहुत गंभीर थी। पीठ ने जोर देकर कहा कि कोविड के दौरान इलाज करने वाले निजी डॉक्टरों के इरादों पर न तो सरकार और न ही कोर्ट कोई सवाल उठा सकती है।
