सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में मान्यता
बिहार चुनाव से पहले, सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में मान्यता देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत, आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाएगा, जिससे मतदाता अपनी पहचान साबित कर सकेंगे। चुनाव आयोग ने पहले 11 दस्तावेजों की सूची बनाई थी, लेकिन अब आधार कार्ड को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है। जानें इस फैसले का क्या प्रभाव पड़ेगा और चुनावी प्रक्रिया में क्या बदलाव आएंगे।
Sep 13, 2025, 14:07 IST
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बिहार चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
बिहार में चुनावों की तैयारियों के बीच, राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के एसआईआर मुद्दे पर महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि आधार कार्ड को एक वैध पहचान पत्र माना जाए। हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे 11 अन्य दस्तावेजों के साथ मान्यता दी है, जिससे आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में एसआईआर में शामिल किया जाएगा।
चुनाव आयोग की प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
जैसे-जैसे बिहार में चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया शुरू की है, जिसका उद्देश्य फर्जी मतदाताओं की पहचान करना है। इस प्रक्रिया के तहत, आयोग ने वोटरों की पहचान के लिए 11 दस्तावेजों की सूची बनाई थी, जिनके आधार पर मतदाता अपनी नागरिकता साबित कर सकते थे। हालांकि, लगभग 60 लाख मतदाता अपनी पहचान साबित नहीं कर सके। चुनाव आयोग ने ऐसे मतदाताओं के लिए 1 सितंबर की डेडलाइन तय की थी। आरजेडी और एआईएमआईएम ने इस डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह डेडलाइन 1 सितंबर के बाद भी लागू रहनी चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड 11 दस्तावेजों के साथ एक अतिरिक्त दस्तावेज है।
आधार कार्ड की मान्यता और चुनाव आयोग के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए, जिसे पहचान प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। इसका मतलब है कि आधार कार्ड अब अन्य 11 दस्तावेजों के समान पहचान प्रमाण के रूप में मान्य होगा। अदालत ने आयोग से कहा कि आवश्यक निर्देश जारी करें ताकि आधार को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सके। अदालत ने यह भी कहा कि आधार अधिनियम के अनुसार, आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन यह पहचान स्थापित करने के लिए एक मान्य दस्तावेज है। अदालत ने चुनाव आयोग के उस बयान को भी रिकॉर्ड में लिया जिसमें कहा गया था कि आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
आधार कार्ड की प्रामाणिकता की जांच
इसके साथ ही, आयोग के अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वे प्रस्तुत किए गए आधार कार्ड की प्रामाणिकता की जांच कर सकें। जस्टिस बागची ने टिप्पणी की कि चुनाव आयोग द्वारा बताए गए 11 दस्तावेजों में से पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र को छोड़कर कोई भी नागरिकता का प्रमाण नहीं है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह आदेश RJD और अन्य याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर सुनवाई के बाद पारित किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के अधिकारी आधार कार्ड को अकेले दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे थे और एसआईआर अधिसूचना में बताए गए 11 दस्तावेजों में से ही एक प्रस्तुत करने पर जोर दे रहे थे। RJD की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के तीन आदेशों के बावजूद, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी और बूथ स्तर अधिकारी (BLOs) आधार को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। यदि वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे, तो यह किस प्रकार का नामांकन प्रैक्टिस है? वे तो गरीबों को बाहर करना चाहते हैं।