सुप्रीम कोर्ट का फैसला: चालक की लापरवाही से हुई दुर्घटनाओं में कोई मुआवजा नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि लापरवाह ड्राइविंग के कारण हुई सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों के परिवारों को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। यह फैसला एक याचिका के खारिज होने के बाद आया है, जिसमें 80 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में मुआवजा देने से गलत आचरण को बढ़ावा मिलेगा। यह निर्णय भविष्य में मोटर दुर्घटना दावों के लिए एक मिसाल स्थापित करेगा।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: चालक की लापरवाही से हुई दुर्घटनाओं में कोई मुआवजा नहीं

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा है कि सड़क दुर्घटनाओं में लापरवाह ड्राइविंग या अपनी ही लापरवाही के कारण मरने वाले व्यक्तियों के लिए कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। ऐसे ड्राइवरों के कानूनी उत्तराधिकारी दुर्घटना के कारण हुई मौत के मामले में बीमा दावों का दावा नहीं कर सकेंगे।


यह निर्णय न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और आर. महादेवन की पीठ द्वारा सुनाया गया, जिसने 80 लाख रुपये के मुआवजे की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका एन.एस. रविशा की पत्नी, बेटे और माता-पिता द्वारा दायर की गई थी, जो तेज गति से गाड़ी चलाते समय नियंत्रण खोने के कारण सड़क दुर्घटना में मारे गए थे।


दुर्घटना का विवरण

यह दुखद घटना 18 जून 2024 को हुई, जब रविशा मल्लासंद्रा गांव से अरासिकेरे शहर की ओर जा रहे थे। उनके साथ उनके पिता, बहन और बच्चे भी थे। मामले की जांच में पता चला कि गाड़ी लापरवाही से चलाई जा रही थी, जिससे दुर्घटना में गंभीर चोटें आईं।


कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पहले ही यह निर्णय लिया था कि चूंकि दुर्घटना चालक की लापरवाह ड्राइविंग और लापरवाही के कारण हुई, इसलिए उनके परिवार को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में मुआवजे की अनुमति देने से व्यक्तियों के गलत आचरण को बढ़ावा मिलेगा, जो अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए खतरनाक हो सकता है।


भविष्य के लिए महत्वपूर्ण निर्णय

यह निर्णय भविष्य में मोटर दुर्घटना दावों के लिए एक मिसाल स्थापित करता है। ऐसे मामलों में जहां बीमाकर्ता दुर्घटना के लिए जिम्मेदार होता है, वहां भुगतान की कोई गारंटी नहीं होगी। इस तरह के दावों की प्रक्रिया में वृद्धि से भविष्य में झूठे दावों की संख्या बढ़ सकती है, और यह सड़क और सुरक्षा कानूनों के पालन की आवश्यकता को और मजबूत करेगा।