सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला: प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी होंगे अतिरिक्त दस्तावेज

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
भारत में संपत्ति के मालिकाना हक के लिए अब केवल रजिस्ट्रेशन ही पर्याप्त नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें कहा गया है कि संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करने के लिए कई अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रजिस्ट्रेशन केवल किसी व्यक्ति के दावे का समर्थन कर सकता है, लेकिन यह कानूनी कब्जे का प्रमाण नहीं है। इस फैसले से देशभर में जागरूकता बढ़ी है, और यह रियल एस्टेट डेवलपर्स और प्रॉपर्टी धारकों पर गहरा प्रभाव डालेगा।
नए नियमों का प्रभाव
इससे पहले, यह माना जाता था कि प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन ही स्वामित्व का प्रमाण है। लेकिन अब कोर्ट के अनुसार, कानूनी स्वामित्व के लिए अन्य दस्तावेज भी आवश्यक हैं। इससे प्रॉपर्टी विवादों और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आने की उम्मीद है। कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल रजिस्ट्रेशन के आधार पर संपत्ति का लेन-देन नहीं किया जा सकता।
प्रॉपर्टी दस्तावेजों की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का अर्थ है कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के साथ-साथ अन्य कानूनी दस्तावेज भी तैयार करने होंगे। यह निर्णय विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्होंने संपत्ति खरीदी है या विरासत में प्राप्त की है। संपत्ति मालिकों को सलाह दी जा रही है कि वे सभी दस्तावेजों की कानूनी मान्यता प्राप्त करें और स्वामित्व के मुद्दों को समझें।
कानूनी दस्तावेजों की सूची
1- बिक्री आलेख (द सेल डीड): यह दस्तावेज प्रॉपर्टी के स्वामित्व को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर करता है।
2- द मदर डीड: यह प्रॉपर्टी के स्वामित्व के इतिहास को दर्शाता है।
3- बिक्री और खरीद समझौता (SPA): इसमें लेन-देन की शर्तें शामिल होती हैं।
4- भवन स्वीकृति योजना: घर बनाने के लिए स्थानीय प्राधिकरण से मंजूरी आवश्यक है।
5- कब्जा पत्र (Possession Letter): यह प्रूफ करता है कि प्रॉपर्टी का स्वामित्व ट्रांसफर हो गया है।
6- कंप्लीशन सर्टिफिकेट: यह प्रमाणित करता है कि निर्माण स्थानीय नियमों के अनुसार हुआ है।
7- खाता प्रमाणपत्र (Account Certificate): इसमें प्रॉपर्टी की डिटेल्स होती हैं।
8- अलॉटमेंट लेटर: यह प्रॉपर्टी बुक करने के बाद जारी किया जाता है।
9- भार प्रमाण पत्र (Encumbrance Certificate): यह प्रूफ करता है कि प्रॉपर्टी पर कोई देनदारी नहीं है।
10- नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC): यह साबित करता है कि लोन चुकाने के बाद कोई दावा नहीं है।
11- पहचान और पते का प्रमाण: वैलिड आईडी और एड्रेस सर्टिफिकेट आवश्यक हैं।
12- RERA अधिनियम, 2016 के तहत अनुपालन: प्रॉपर्टी को RERA के साथ रजिस्टर करना आवश्यक है।