सुप्रीम कोर्ट का खनन पर नया आदेश: वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रतिबंध

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित वन क्षेत्रों के भीतर और उनके एक किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। यह निर्णय गोवा फाउंडेशन मामले के संदर्भ में लिया गया है, जिसमें पहले से ही गोवा में ऐसे प्रतिबंध लागू थे। अदालत ने झारखंड के सरंडा क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने का भी निर्देश दिया है, साथ ही जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा का आश्वासन दिया है। इस आदेश का उद्देश्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
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सुप्रीम कोर्ट का खनन पर नया आदेश: वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रतिबंध

खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि सुरक्षित वन क्षेत्रों, जैसे कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के भीतर, और इनकी सीमाओं से एक किलोमीटर की दूरी पर कोई खनन कार्य नहीं किया जाएगा। अदालत ने गुरुवार को कहा कि गोवा फाउंडेशन मामले में पहले से लागू पाबंदियों को अब पूरे देश में लागू करने की आवश्यकता है।


वन्यजीवों की सुरक्षा पर जोर

अदालत ने बताया कि संरक्षित क्षेत्रों के एक किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियों का संचालन वन्यजीवों के लिए हानिकारक हो सकता है। गोवा फाउंडेशन केस में दिए गए निर्देशों को अब पूरे भारत में लागू किया जाना चाहिए। हम आदेश देते हैं कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के भीतर और उनके एक किलोमीटर के दायरे में खनन की अनुमति नहीं होगी।


सरंडा क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया

चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई में बेंच ने यह आदेश तब दिया जब झारखंड के सरंडा क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य बनाने से संबंधित याचिकाओं पर विचार किया जा रहा था। अदालत ने निर्देश दिया कि इस क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया जाए और जनजातीय समुदायों तथा वनवासियों के अधिकारों की रक्षा वनाधिकार अधिनियम के तहत की जाए। इसके अलावा, क्षेत्र में स्थित स्कूल, रेल लाइनें और औषधालय भी संरक्षित रहेंगे, लेकिन खनन गतिविधियों की अनुमति नहीं होगी।