सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्राकृतिक आपदा घोषित करने के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्राकृतिक आपदा घोषित करने का निर्देश दिया है। यदि इस संघर्ष में किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो राज्यों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। इसके अलावा, कोर्ट ने टाइगर सफारी और बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जानें इस फैसले के पीछे की वजह और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 | 
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्राकृतिक आपदा घोषित करने के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्राकृतिक आपदा घोषित करने के निर्देश

टाइगर संरक्षण को लेकर SC ने राज्यों को निर्देश दिए.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में सभी राज्यों को मानव-वन्यजीव संघर्ष को 'प्राकृतिक आपदा' के रूप में मान्यता देने पर विचार करने का निर्देश दिया है। यदि इस संघर्ष में किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो राज्यों को अनिवार्य रूप से 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान करनी होगी। यह मुआवजा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सीएसएस-आईडब्ल्यूडीएच योजना के तहत निर्धारित नियमों के अनुसार होगा।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह और ए.एस. चंदुरकर की पीठ ने टाइगर सफारी, बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन और संवेदनशील बाघ परिदृश्यों की सुरक्षा के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए। कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ कटाई के मुद्दे पर गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए राज्यों को समय-सीमा में पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि तेजी से राहत दिलाने के लिए मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्राकृतिक आपदा घोषित करने पर विचार होना चाहिए, जैसा कि उत्तर प्रदेश पहले ही कर चुका है.


मॉडल गाइडलाइन का निर्माण

6 माह में मॉडल गाइडलाइन तैयार करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को 6 महीने के भीतर मानव-वन्यजीव संघर्ष पर मॉडल दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया है। राज्यों को भी इसे 6 महीने में लागू करना होगा। कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों में मुआवजा प्रणाली को सुलभ, सरल और समयबद्ध होना चाहिए। इसके साथ ही वन, राजस्व, पुलिस, आपदा प्रबंधन और पंचायती राज विभागों के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि मुआवजा प्रणाली को आसान, समावेशी और समयबद्ध होना चाहिए। पीठ ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा है कि प्रत्येक राज्य को एक सुचारू और सुलभ मुआवजा प्रणाली स्थापित करनी होगी.


अवैध निर्माण पर कार्रवाई

जिम कॉर्बेट में अवैध निर्माण ढहाने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिए तुरंत पुनर्स्थापना उपाय अपनाने का निर्देश दिया। तीन माह में सभी अवैध संरचनाओं को गिराने और अवैध पेड़ कटाई की भरपाई करने का आदेश दिया गया है। सीईसी पूरी पारिस्थितिक पुनर्स्थापना योजना की निगरानी करेगा। पीठ ने राज्य सरकार को अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए उपाय करने का निर्देश दिया.


पर्यटन के लिए दिशा-निर्देश

पर्यटन बढ़ाना है तो ईको टूरिज्म हो- CJI

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि यदि पर्यटन को बढ़ावा देना है, तो यह इको-टूरिज्म होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने फैसले में अपने परिवारों से दूर कोर क्षेत्र में काम करने वालों के साथ विशेष व्यवहार करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोर या सघन टाइगर प्रवास वाले क्षेत्रों में टाइगर सफारी की अनुमति नहीं दी जा सकती। टाइगर सफारी केवल बफर जोन की बंजर या गैर-वन भूमि पर ही स्थापित की जा सकेगी, वह भी तब जब वह बाघ गलियारे में न आती हो. सफारी के साथ रिस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर अनिवार्य होगा.


बफर जोन में गतिविधियों पर रोक

बफर जोन में इन गतिविधियों पर रहेगी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने बफर और फ्रिंज क्षेत्रों में कुछ गतिविधियों पर रोक लगा दी है। पीठ ने विशेषज्ञ समिति द्वारा तय की गई निषिद्ध गतिविधियों की सूची को मंजूरी दी। प्रमुख गतिविधियां जिन पर रोक रहेगी, उनमें वाणिज्यिक खनन, आरा मिलें, प्रदूषणकारी उद्योग, वाणिज्यिक जलाऊ लकड़ी का उपयोग, प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएं, खतरनाक पदार्थ का उत्पादन, कम उड़ान वाले विमान और पर्यटन विमान शामिल हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नियंत्रित गतिविधियां भी तय की हैं, जिसमें कहत होटल, पानी का उपयोग, सड़क चौड़ीकरण और रात में वाहनों की आवाजाही के लिए सख्त वन्यजीव सुरक्षा उपायों का पालन करना होगा और ये बाघ संरक्षण योजनाओं के अनुरूप होना चाहिए.


पर्यटन के लिए नए नियम

रिसॉर्ट्स प्रतिबंधित, रात के पर्यटन पर प्रतिबंध, शांत क्षेत्र अनिवार्य

सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर रिजर्व के पास पर्यटन के लिए विशिष्ट निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत पर्यावरण के अनुकूल रिसॉर्ट्स को केवल बफर्स में ही अनुमति दी जाएगी और वाहनों की वहन क्षमता लागू की जाएगी। रात्रि पर्यटन पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। आपातकालीन वाहनों को छोड़कर, मुख्य क्षेत्रों से गुजरने वाली सड़कें शाम से सुबह तक बंद रखी जाएंगी। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि ईएसजेड सहित पूरा टाइगर रिजर्व तीन महीने के भीतर ध्वनि प्रदूषण नियमों के तहत साइलेंस जोन के रूप में अधिसूचित किया जाए.